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    Fertility test in Hindi | गर्भधारण में परेशानी? ये फर्टिलिटी टेस्ट कर सकते हैं आपकी मदद!

    Fertility Problems

    Fertility test in Hindi | गर्भधारण में परेशानी? ये फर्टिलिटी टेस्ट कर सकते हैं आपकी मदद!

    7 December 2023 को अपडेट किया गया

    Medically Reviewed by

    Dr. Shruti Tanwar

    C-section & gynae problems - MBBS| MS (OBS & Gynae)

    View Profile

    इनफर्टिलिटी आज के समय की एक सबसे बड़ी समस्या है जो महिलाओं और पुरुषों को लगभग समान रूप से प्रभावित कर रही है. खराब लाइफस्टाइल, देर से शादी, प्रदूषण, स्ट्रेस और अनहेल्दी डाइट इनफर्टिलिटी के मुख्य कारण हैं. वैसे, अच्छी बात ये है कि आजकल लोग इस बारे में जागरूक होने लगे हैं और खास तौर पर लाइफस्टाइल को लेकर अलर्टनेस बढ़ी है. डॉक्टरों के अनुसार अगर एक साल तक अनप्रोटेक्टेड सेक्स करने के बाद भी गर्भधारण न हो पाये तो उसे इनफर्टिलिटी (infertility in hindi) का लक्षण माना जाता है और ज़रूरी टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है ताकि समस्या की असली वजह का पता चल सके.

    फर्टिलिटी टेस्ट क्या होते हैं? (Fertility test meaning in Hindi)

    किसी भी अन्य टेस्ट की तरह फर्टिलिटी टेस्ट भी लैब में किये जाते हैं जिनमें अलग-अलग तरीक़ों से महिला और पुरुष की प्रजनन क्षमता को चेक करने के साथ ही उनकी चाइल्ड बेयरिंग केपेसिटी (childbearing capacity) को भी जाँचा जाता है. महिलाओं के लिए ये पैरामीटर उनके हार्मोन्स का स्तर, ओवरी और उसके अंडे बनाने की क्षमता, एग्स की क्वालिटी, ट्यूब्स में रुकावट और यूटरस के स्वास्थ्य से जुड़े होते हैं जबकि पुरुषों के लिए स्पर्म काउंट, स्पर्म मोटिलिटी के अलावा रिप्रोडक्टिव ऑर्गन्स को चेक किया जाता है. इन टेस्ट से फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के सही ऑप्शन चुनने में मदद मिलती है.

    इसे भी पढ़ें : स्पर्म मोटिलिटी का क्या होता है फर्टिलिटी से कनेक्शन?

    फर्टिलिटी टेस्ट कब करवाना चाहिए? (When to consider fertility test in Hindi)

    फर्टिलिटी टेस्ट उन कपल्स को करवाने की सलाह दी जाती है जिन्हें गर्भधारण में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा हो. सामान्यतः इन टेस्ट को तब करवाया जाता है जब

    1. पति-पत्नी एक वर्ष या उससे अधिक समय तक एक्टिव रूप से अनप्रोटेक्टेड सेक्स कर रहे हों और तब भी गर्भधारण न हो सके. पत्नी की उम्र 35 वर्ष से अधिक होने पर यह अवधि छह महीने मानी जाती है.
    2. अनियमित पीरियड्स (Irregular Menstrual Cycles) या मासिक न होना (absent menstrual cycle) जैसे समस्याओं में भी ओव्यूलेशन पैटर्न और हार्मोन लेवल को चेक करने के लिए फर्टिलिटी टेस्ट करवाए जाते हैं.
    3. लगातार अबॉर्शन (Previous Pregnancy Losses) की मेडिकल हिस्ट्री होने पर भी फर्टिलिटी टेस्ट करवाये जाते हैं ताकि समस्या की जड़ तक पहुंचा जा सके.
    4. रिप्रोडक्टिव हेल्थ इशूज़ जैसे कि पोलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS), एंडोमेट्रियोसिस (endometriosis), या पुरुषों में इनफर्टिलिटी male infertility के लक्षण होने पर भी ये टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है.

    अब बात करेंगे महिलाओं (Female fertility test) के लिए किए जाने वाले कुछ टेस्ट की.

    महिलाओं के लिए फर्टिलिटी टेस्ट कौन-से होते हैं? (Female fertility tests in Hindi)

    महिलाओं में रिप्रोडक्टिव सिस्टम से जुड़े कई टेस्ट किए जाते हैं जैसे कि-

    1. ओवरियन रिज़र्व टेस्ट (Ovarian Reserve Test)

    इस टेस्ट में फोलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन (FSH) और एंटी मलेरियन हार्मोन (AMH) की जाँच के द्वारा ओवरी में एग्स की संख्या और क्वालिटी को चेक किया जाता है.

    इसे भी पढ़ें : जानें फर्टिलिटी योग से कैसे बढ़ती है गर्भधारण की संभावनाएँ

    2. ओव्यूलेशन की जाँच (Ovulation Assessment)

    ओव्यूलेशन के पैटर्न और वेजाइनल डिस्चार्ज की जाँच के लिए ओव्यूलेशन मॉनिटरिंग या बेसल बॉडी टेम्परेचर से जुड़े टेस्ट किए जाते हैं.

    इसे भी पढ़ें : गर्भधारण के लिए ज़रूरी है ओव्यूलेशन. जानें कैसे करते हैं इसे ट्रैक

    3. फेलोपियन ट्यूब टेस्ट (Fallopian Tube Test)

    हिस्ट्रोसल्पिंग्राम (hysterosalpingogram), फेलोपियन ट्यूब डायनामिक टेस्ट (Fallopian Tube Dynamic Test`) और हिस्टेरोसाल्पिंगो-कंट्रास्ट सोनोग्राफी (HyCoSy) जैसे टेस्ट के द्वारा फेलोपियन ट्यूब्स में रुकावट या संक्रमण को चेक किया जाता है.

    4. हार्मोन टेस्ट (Hormone Tests)

    इसमें महिलाओं के हार्मोन जैसे कि प्रोजेस्टेरोन, एस्ट्रोजन, ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH), और प्रोलैक्टिन असंतुलन की जाँच की जाती है.

    5. वेजाइनल इन्फेक्शन (Vaginal Infection Tests)

    यूरीन संक्रमण, यूरीन से संबंधित बीमारियाँ या अन्य इन्फेक्शन की जाँच के लिए ये टेस्ट किया जाते हैं.

    पुरुषों के लिए फर्टिलिटी टेस्ट कौन-से होते हैं? (Male fertility tests in Hindi)

    आइये अब जानते हैं पुरुषों के लिए (male fertility test) किए जाने वाले फर्टिलिटी टेस्ट के बारे में.

    1. सीमन एनालिसिस (Semen Analysis)

    इसे मेल इनफर्टिलिटी की जाँच का प्रथम चरण माना जा सकता है जिसमें स्पर्म काउंट, मोबिलिटी, मोर्फोलॉजी यानी कि आकार और अन्य पैरामीटर; जैसे- वॉल्यूम और पीएच की जाँच की जाती है.

    इसे भी पढ़ें : स्पर्म काउंट कम होने पर दिखते हैं इस तरह के संकेत!

    2. हार्मोन टेस्टिंग (Hormone Testing)

    हार्मोन टेस्टिंग में टेस्टोस्टेरोन (testosterone), फोलिकल-स्टिम्युलेटिंग हार्मोन (follicle- stimulating hormone), ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) और प्रोलैक्टिन (prolactin) की जाँच की जाती है.

    3. जेनेटिक टेस्टिंग (Genetic Testing)

    जेनेटिक टेस्टिंग में स्पर्म बनाने की क्षमता को प्रभावित करने वाली किसी जेनेटिक समस्या या क्रोमोसोमल डिसऑर्डर (chromosomal disorders) की जाँच करते हैं.

    4. टेस्टीकुलर अल्ट्रासाउंड (Testicular Ultrasound)

    इससे टेस्टीकल्स के स्ट्रक्चर, साइज़ और वरिकोज़ल यानी कि टेस्टीकल्स के बढ्ने पर फूली हुई हुई नसों (enlarged veins in the scrotum) जैसी किसी असामान्यता की जाँच की जाती है.

    5. पोस्ट इजेकुलेशन यूरीन एनालिसिस (Post-Ejaculation Urine Analysis)

    इस टेस्ट में स्पर्म निकलने के बाद के यूरिन का सेंपल लेकर देखा जाता है कि क्या उसमें स्पर्म मौजूद हैं? इस स्थिति को रेट्रोगेट इजेकुलेशन (retrograde ejaculation) कहा जाता है जिसमें स्पर्म पेनिस से बाहर आने के बजाय ब्लेडर में वापस चला जाता है.

    फर्टिलिटी टेस्ट करने से पहले डॉक्टर किन बातों पर ग़ौर करते हैं? (What factors do doctors consider before conducting a fertility test in Hindi)

    महिलाओं (female fertility test) और पुरुषों दोनों के लिए फर्टिलिटी टेस्ट (male fertility test) करने से पहले डॉक्टर निम्नलिखित फ़ैक्टर्स को ध्यान में रखते हैं;

    1. महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए फर्टिलिटी टेस्ट की ज़रूरत के लिए सबसे पहले उनकी उम्र देखी जाती है.
    2. इसके बाद आती है दोनों की रिप्रोडक्टिव हिस्ट्री जिसमें पूर्व में प्रेग्नेंसी के लिए किए गए प्रयासों के अलावा मेडिकल और जेनेटिक हिस्ट्री को भी चेक किया जाता है.
    3. इसके अलावा शारीरिक जाँच जिसमें स्पर्म टेस्ट, अल्ट्रासाउंड, हार्मोन और अन्य टेस्ट शामिल होते हैं.
    4. पति-पत्नी की लाइफस्टाइल से जुड़ी आदतें भी फर्टिलिटी पर प्रभाव डालती हैं इसलिए डॉक्टर्स इनके बारे में भी पूरी जानकारी लेते हैं; जैसे कि हाई टेम्परेचर , सिगरेट और शराब का सेवन, ग़लत खानपान, व्यायाम की कमी, स्ट्रेस और पर्याप्त नींद न लेना.

    इनफर्टिलिटी के लिए कौन-से ट्रीटमेंट होते हैं? (Treatment options for Infertility in Hindi)

    1. दवाएँ (Medicines)

    कई मामलों में दवाओं के उपयोग से फर्टिलिटी को बढ़ाने और रिप्रोडक्टिव सिस्टम को मज़बूत करने में मदद मिलती है .

    2. असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्निक (Assisted Reproductive Techniques)

    इन विट्रो फर्टिलिजेशन (IVF), इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI), इंट्रायूट्रिन इनसेप्शन (IUI) जैसी तकनीक जिससे गर्भधारण कराया जा सके.

    3. हार्मोनल थेरेपी (Hormonal Therapy)

    हार्मोनल थेरेपी जिससे ओवरी में एग की क्वालिटी को बढ़ाने के साथ ही पुरुषों में स्पर्म क्वान्टिटी में भी सुधार लाया जा सकता है.

    4. सर्जरी (Surgical Procedures) -

    गर्भाशय में सिस्ट, नसबंदी या ट्यूब से संबंधित दोष होने पर सर्जरी की मदद ली जाती है.

    5. प्राकृतिक चिकित्सा (Naturopathy)

    एलोपेथी के अलावा आयुर्वेदिक या होमियोपैथी जैसी अलटरनेटिव चिकित्सा पद्धतियों से भी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद मिल सकती है जिससे गर्भधारण की संभावनाओं को बढ़ाया जा सकता है.

    प्रो टिप (Pro Tip)

    संतान सुख हर एक की चाह होती है लेकिन अगर प्रेग्नेंसी ना पाये तो आप निराश ना हों क्योंकि लेटेस्ट मेडिकल टेक्नोलोजी के द्वारा आपकी समस्या का समाधान संभव है. अपनी लाइफस्टाइल में ज़रूरी बदलाव करें और फर्टिलिटी एक्सपर्ट से मिलकर अपनी समस्या का निदान करवाएँ.

    रेफरेंस

    1. Hwang K, Lipshultz LI, Lamb DJ. (2011). Use of diagnostic testing to detect infertility.

    2. Sunder M, Leslie SW. (2023). Semen Analysis. [Updated 2022 Oct 24].

    3. Pelzman DL, Hwang K. (2021). Genetic testing for men with infertility: techniques and indications.

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