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In this Article

  • एंटीरियर प्लेसेंटा क्या होता है? (Anterior placenta meaning in Hindi)
  • एंटीरियर प्लेसेंटा के लक्षण क्या होते हैं? (Anterior placenta symptoms in Hindi)
  • 1. सेन्सेशन में कमी आना (Reduced Sensation of Fetal Movements)
  • 2. फीटस की स्थिति की पहचान करने में कठिनाई (Difficulty in Identifying Fetal Position)
  • गर्भ में क्या होती है प्लेसेंटा की पोजीशन? (Placenta position in Hindi)
  • 1. एंटीरियर प्लेसेंटा (Anterior Placenta)
  • 2. पोस्टीरियर प्लेसेंटा (Posterior Placenta)
  • 3. फंडल प्लेसेंटा (Fundal Placenta)
  • 4. राइट लेटरल और लेफ़्ट लेटरल (Right Lateral and Left Lateral)
  • एंटीरियर प्लेसेंटा का प्रेग्नेंसी पर असर (Anterior placenta affects on pregnancy in Hindi)
  • 1. फीटस के मूवमेंट्स का देरी से महसूस होना (Delayed perception of fetal movements)
  • 2. लातों की कमजोर संवेदना (Weak sensation of kicks)
  • 3. अल्ट्रासाउंड विज़ुअलाइज़ेशन (Ultrasound visualization)
  • 4. फीटस की पोज़ीशन (Position of the fetus)
  • 5. डॉपलर मॉनिटरिंग पर असर (Effect on Doppler monitoring)
  • एंटीरियर प्लेसेंटा होने पर सावधानियां (Anterior Placenta precautions in Hindi)
  • 1. प्रीनेटल केयर (Prenatal Care)
  • 2. फ़ीटस मॉनिटरिंग (Monitoring fetal activity)
  • 3. व्यायाम और शारीरिक गतिविधि (Exercise and physical activity)
  • 4. नींद की स्थिति (Sleep position)
  • 5. पोषण (Nutrition)
  • 6. पेल्विक रेस्ट (Pelvic rest)
  • 7. स्ट्रेस मैनेजमेंट (Stress management)
  • प्रो टिप (Pro Tip)
  • रेफरेंस
 Placenta Anterior Meaning in Hindi | प्रेग्नेंसी में एंटीरियर प्लेसेंटा का क्या होता है माँ और बेबी पर असर?

Pregnancy Journey

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Placenta Anterior Meaning in Hindi | प्रेग्नेंसी में एंटीरियर प्लेसेंटा का क्या होता है माँ और बेबी पर असर?

9 October 2023 को अपडेट किया गया

आसान शब्दों में एंटीरियर प्लेसेंटा का मतलब है- प्लेसेंटा का गर्भाशय की फ्रंट वॉल की तरफ़ स्थित होना; जिससे वह माँ की एब्डोमिनल वॉल और शिशु के बीच में आ जाती है. इससे किसी भी तरह का खतरा पैदा नहीं होता है लेकिन प्लेसेंटा के कुशनिंग इफेक्ट के कारण प्रेग्नेंसी की शुरुआत में बच्चे के हल्के मूवमेंट्स को महसूस करने में दिक्कत हो सकती है.

आइये इसे (placenta anterior in Hindi) मेडिकल भाषा में समझते हैं.

एंटीरियर प्लेसेंटा क्या होता है? (Anterior placenta meaning in Hindi)

एंटीरियर प्लेसेंटा गर्भाशय के भीतर प्लेसेंटा की सामान्य से (placenta position in Hindi) कुछ अलग स्थिति है. प्लेसेंटा एक ऐसा ऑर्गन है (placenta in Hindi meaning) जो केवल प्रेग्नेंसी के दौरान फीटस की ग्रोथ को सपोर्ट करने के लिए विकसित होता है. जब इसे एंटीरियर प्लेसेंटा कहते हैं तो इसका मतलब है कि यह यूटरस की सामने की दीवार पर स्थित है जो एब्डोमिनल वॉल के सबसे नज़दीक और माँ के पेट की ओर होता है. नाल के इस तरह के प्लेसमेंट में फीटस के मूवमेंट पर फ़र्क पड़ सकता है या वो धीमे पड़ सकते हैं.

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इसे भी पढ़ें : आख़िर क्या है लो लाइंग प्लेसेंटा? माँ और बच्चे के लिए कैसे होता है ये खतरनाक?

एंटीरियर प्लेसेंटा के लक्षण क्या होते हैं? (Anterior placenta symptoms in Hindi)

एंटीरियर प्लेसेंटा के लक्षण इस प्रकार हैं;

1. सेन्सेशन में कमी आना (Reduced Sensation of Fetal Movements)

एंटीरियर प्लेसेंटा होने पर (anterior placenta in Hindi) फीटस के मूवमेंट्स से जुड़े सेंसेशन जिन्हें "क्विकनिंग” कहते हैं; सामान्य से कम महसूस होते हैं. एंटीरियर प्लेसेंटा से ऐसा कुशनिंग इफ़ेक्ट आता है जिससे प्रेग्नेंसी के शुरुआती फेज़ में फीटस मूवमेंट्स को समझना और ट्रैक करना अधिक चेलेंजिंग बन जाता है.

2. फीटस की स्थिति की पहचान करने में कठिनाई (Difficulty in Identifying Fetal Position)

प्लेसेंटा सामने की ओर होने के कारण डॉक्टर को प्रीनेटल एक्जाम या अल्ट्रासाउंड के दौरान बच्चे की सटीक स्थिति का पता करने में मुश्किल आ सकती है.

3. बच्चे की किक महसूस न कर पाना (Weakened Sensation of Kicks)

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एंटीरियर प्लेसेंटा वाली महिलाओं को प्लेसेंटल बैरियर (placental barrier) के कारण बच्चे की किक्स और पंच कम या हल्के महसूस होते हैं.

गर्भ में क्या होती है प्लेसेंटा की पोजीशन? (Placenta position in Hindi)

गर्भावस्था के दौरान हर महिला में प्लेसेंटा की नॉर्मल पोज़ीशन अलग-अलग हो सकती है, और यह किस तरह से स्थित है इस आधार पर इसे तीन मुख्य श्रेणियों में बाँटा गया है;

1. एंटीरियर प्लेसेंटा (Anterior Placenta)

जब प्लेसेंटा गर्भाशय की सामने की दीवार पर स्थित हो जो माँ की एब्डोमिनल वॉल के सबसे नज़दीक होने जैसा होता है, तो इसे एंटीरियर प्लेसेंटा कहा जाता है.

2. पोस्टीरियर प्लेसेंटा (Posterior Placenta)

इस स्थिति में, प्लेसेंटा यूटरस के पीछे की तरफ स्थित होता है, जो माँ की एब्डोमिनल वॉल के विपरीत दिशा में होता है. ऐसी स्थिति में फीटस के मूवमेंट्स को महसूस करना और अल्ट्रासाउंड के दौरान चेक करना आसान हो जाता है.

3. फंडल प्लेसेंटा (Fundal Placenta)

जब प्लेसेंटा यूटरस के टॉप (fundus) के पास स्थित होती है, तो इसे फंडल प्लेसेंटा कहते हैं. ऐसी स्थिति एक हेल्दी प्रेग्नेंसी के लिए बेस्ट है क्योंकि इसमें बच्चे को पर्याप्त ब्लड सप्लाई मिलने में मदद मिलती है.

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4. राइट लेटरल और लेफ़्ट लेटरल (Right Lateral and Left Lateral)

हालाँकि, जैसे-जैसे प्रेग्नेंसी आगे बढ़ती है, प्लेसेंटा की पोज़ीशन भी बदल सकती है, और इन तीन स्थितियों के अलावा, यूटरस के भीतर प्लेसेंटा की स्थिति राइट लेटरल (right lateral) और लेफ़्ट लेटरल (left lateral) भी हो सकती है. कभी-कभी यह प्लेसेंटा प्रीविया जैसे कॉम्प्लिकेशन से भी जुड़ा होता है जिसमें प्लेसेंटा आधा या पूरी तरह से सर्विक्स से ढँका होता है.

एंटीरियर प्लेसेंटा का प्रेग्नेंसी पर असर (Anterior placenta affects on pregnancy in Hindi)

एंटीरियर प्लेसेन्टा होने पर (anterior placenta meaning in Hindi) प्रेग्नेंसी के आपके अनुभव में कुछ बदलाव आ सकते हैं, हालाँकि इससे प्रेग्नेंट महिला या फीटस की हेल्थ को कोई बड़ा ख़तरा नहीं होता है.

1. फीटस के मूवमेंट्स का देरी से महसूस होना (Delayed perception of fetal movements)

एंटीरियर प्लेसेंटा वाले लोग अक्सर फीटस मूवमेंट्स जिन्हें क्विकनिंग कहते हैं उन्हें देर से पहचानना शुरू करते हैं. ऐसा प्लेसेंटल कुशनिंग के कारण होता है जिससे बच्चे की बेहद हल्की या शुरुवाती गतिविधियों को महसूस करना थोड़ा कठिन हो जाता है.

2. लातों की कमजोर संवेदना (Weak sensation of kicks)

एंटीरियर प्लेसेंटा वाली महिलाओं को बच्चे की किक्स और पंच को साफ़-साफ़ महसूस करने में दिक्कत होती है.

3. अल्ट्रासाउंड विज़ुअलाइज़ेशन (Ultrasound visualization)

इस स्थिति में, गर्भनाल के यूटरस के ठीक सामने स्थित होने के कारण, प्रीनेटल अल्ट्रासाउंड के दौरान फीटस को ग्रोथ को ट्रैक करना भी थोड़ा मुश्किल हो सकता है. इस वजह से अल्ट्रासाउंड के दौरान अंदर की क्लियर पिक्चर लेने के लिए कुछ अलग टेक्निक और खास एंगल से स्कैन करने की आवश्यकता पड़ती है.

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4. फीटस की पोज़ीशन (Position of the fetus)

प्लेसेंटा का स्थान इस बात पर भी असर डाल सकता है कि यूटरस के अंदर बच्चा किस तरह स्थित है. हालाँकि, यह कोई बड़ी चिंता या रिस्क की बात नहीं है लेकिन डिलीवरी के दौरान इससे बच्चे के बाहर आने की स्पीड या उसकी पोज़ीशन प्रभावित हो सकती है.

5. डॉपलर मॉनिटरिंग पर असर (Effect on Doppler monitoring)

कभी-कभी एंटीरियर प्लेसेंटा की स्थिति में डॉपलर डिवाइस का उपयोग करके बच्चे की हार्ट बीट को ट्रैक करने में भी दिक्कत आ सकती है.

अब आपको बताएँगे उन सावधानियों के बारे में जो एंटीरियर प्लेसेंटा (placenta anterior meaning in Hindi) होने पर आपको बरतनी चाहिए.

इसे भी पढ़ें : क्या है प्लेसेंटा प्रिविआ? जानें इसके कारण और पहचान

एंटीरियर प्लेसेंटा होने पर सावधानियां (Anterior Placenta precautions in Hindi)

1. प्रीनेटल केयर (Prenatal Care)

अपने डॉक्टर द्वारा बताई गयी सभी बातों का ख्याल करें और पूरी सावधानियाँ बरतें. बच्चे के साथ-साथ अपनी हेल्थ को मॉनिटर करने के लिए नियमित जाँच और अल्ट्रासाउंड करवाते रहें जिससे प्लेसेंटा की स्थिति और ग्रोथ का भी पता चलता रहेगा.

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2. फ़ीटस मॉनिटरिंग (Monitoring fetal activity)

एंटीरियर प्लेसेंटा के कुशनिंग इफेक्ट के कारण बच्चे के मूवमेंट्स; जैसे- किक और पंच की तीव्रता हल्की या बेहद कम महसूस होती है. ऐसे में अगर कभी आपको फीटस मूवमेंट्स के पैटर्न में किसी भी तरह का असामान्य बदलाव दिखाई दे तो तुरंत अपने डॉक्टर से मिलें.

3. व्यायाम और शारीरिक गतिविधि (Exercise and physical activity)

एक हेल्दी प्रेग्नेंसी के लिए हल्का-फुल्का व्यायाम करना लाभकारी होता है लेकिन अगर आपको एंटीरियर प्लेसेंटा के कारण किसी तरह की असुविधा महसूस हो तो ऐसे में डॉक्टर की सलाह से ही चलें.

4. नींद की स्थिति (Sleep position)

पूरी प्रेग्नेंसी के दौरान सोते हुए, बाईं करवट लेकर लेटना अधिक आरामदायक और लाभकारी है, क्योंकि इससे प्लेसेंटा और बच्चे के शरीर में ब्लड फ़्लो को बेहतर बनाने में मदद मिलती है. थक जाने पर आप कुछ देर में पोज़ीशन चेंज भी कर सकते हैं.

5. पोषण (Nutrition)

प्रेग्नेंसी के दौरान नियमित रूप से हेल्दी और बैलेंस डाइट लें और खूब सारे फ्लुइड्स लेकर खुद को हाइड्रेटेड रखें. पर्याप्त पोषण आपके और आपके बच्चे दोनों की अच्छी हेल्थ के लिए महत्वपूर्ण है.

6. पेल्विक रेस्ट (Pelvic rest)

कुछ मामलों में, यदि एंटीरियर प्लेसेंटा बहुत ज़्यादा नीचे है या किसी और तरह के कॉम्प्लिकेशन का ख़तरा है तो डॉक्टर आपको पेल्विक रेस्ट की सलाह देंगे जिसका अर्थ है सेक्स और कुछ ख़ास तरह के कामों से पूरी तरह बचना क्योंकि इनसे प्लेसेंटा पर अतिरिक्त प्रेशर पड़ सकता है.

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7. स्ट्रेस मैनेजमेंट (Stress management)

तनाव से बचें और इसके लिए रिलेक्सेशन टेक्निक; जैसे- डीप ब्रीदिंग, मेडिटेशन या प्रीनेटल योगा का अभ्यास करें, क्योंकि स्ट्रेस का बढ़ा हुआ लेवल आपकी प्रेग्नेंसी के लिए ठीक नहीं है.

प्रो टिप (Pro Tip)

एंटीरियर प्लेसेंटा, प्लेसेंटल प्लेसमेंट का ही एक फॉर्म है. यह होने वाली माँ या उसके बच्चे के लिए किसी भी तरह से ख़तरा पैदा नहीं करता है और एंटीरियर प्लेसेंटा वाली अधिकतर महिलाएँ बिना किसी जटिलता के स्वस्थ रूप से बच्चे को जन्म देती हैं. लेकिन प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी स्टेज में अगर आपको बच्चे के मूवमेंट से जुड़ा कोई भी अब्नॉर्मल साइन या सिंपटम दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए.

रेफरेंस

1. Zia S. (2013). Placental location and pregnancy outcome. J Turk Ger Gynecol Assoc.

2. Findik FM, Icen MS. (2023). Clinical Comparison of Anterior or Posterior Placental Location with Placenta Previa and History of Previous Cesarean Section Delivery.

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Written by

Kavita Uprety

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