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Labour & Delivery
15 February 2024 को अपडेट किया गया
डिलीवरी के बारे में जब भी कोई प्रेग्नेंट महिला सोचती है, तो उसके ज़ेहन में एक आरामदायक डिलीवरी का ही ख़्याल आता है. इसमें भी महिलाएं नॉर्मल डिलीवरी को ज़्यादा पसंद करती हैं. लेकिन यह ज़रूरी नहीं कि हर डिलीवरी नॉर्मल या वजाइनल ही हो. प्रेग्नेंसी में कोई परेशानी या जोखिम हो तो ऐसे में LSCS या लोअर (यूटेराइन) सेगमेंट सिजेरियन सेक्शन का चुनाव कर डिलीवरी की जाती है. सर्जेरी द्वारा डिलीवरी करने के लिए माँ के पेट को 4 विभिन्न भागों में बाँटा जाता है. इनमें से सभी अधिक प्रचलित सेक्शन है LSCS, जिसमें पेट के निचले भाग (जहां यूटेरस, ब्लैडर से जुड़ता है, ठीक उसके ऊपर) पर एक अनुप्रस्थ चीरा या ट्रांसवर्स कट लगा कर बच्चे को सुरक्षित बाहर निकला जाता है. सर्जरी के इस तरीके को हम सी-सेक्शन के नाम से भी जानते हैं. डॉक्टर्स ज़्यादातर LSCS का ही चुनाव करते हैं, क्योंकि ऑपरेशन की इस प्रक्रिया में खून की हानि बहुत कम होती है और इसके अलावा LSCS में लगाने वाला कट या चीरा जो प्यूबिक हेयर के ठीक ऊपर होता है, वह भी बहुत छोटे आकर का होता है.
प्रेग्नेंसी के मामलों में अगर कोई आपातकालीन स्थिति बनती हैं, तो ऐसे में डॉक्टर्स सुरक्षित डिलीवरी के लिए लोअर सेगमेंट सिजेरियन सेक्शन को प्राथमिकता देते हैं. इसके अलावा जब गर्भवती महिला खुद से सिजेरियन डिलीवरी चाहती हैं, तब भी ज़्यादातर डॉक्टर्स LSCS को ही चुनते हैं.
जब गर्भवती माँ को प्रसव पीड़ा सही से न हो रही हो.
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जब गर्भ में पल रहा बच्चा तनाव में होने के संकेत दे, जैसे कि उसकी हृदय गति अनियमित हो रही हो.
जब बच्चे का आकार बहुत अधिक हो और उसे माँ की योनि के रास्ते बाहर न निकाला सके.
नॉर्मल डिलीवरी में माँ या बच्चे दोनों में से किसी को भी जोखिम हो.
माँ प्रसव पीड़ा को सहन करने की स्थिति में न हो.
बच्चे के गले में गर्भनाल फँस गई हो.
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अगर बच्चा गर्भ में ब्रीच (नीचे की ओर पैर या हिप) पोज़ीशन में हो.
प्लेसेंटा प्रीविया (Placenta Previa) की स्थिति में भी डॉक्टर्स सी-सेक्शन से ही डिलीवरी करते हैं, क्योंकि इस स्थिति में प्लेसेंटा गर्भाशय ग्रीवा या सर्विक्स को पूरा या उसका कुछ हिस्सा ढक देता है.
प्लेसेंटा अब्रप्शन (Placenta Abruption) में जब बच्चे के जन्म से पहले ही प्लेसेंटा गर्भाशय की दीवार से अलग हो जाता है तो यह डिलीवरी के लिहाज़ से एक गंभीर स्थिति होती है. ऐसे में बच्चे को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए और माँ के जीवन की सुरक्षा बनाए रखने के लिए सी-सेक्शन किया जाता है.
दो या उससे अधिक बच्चे अगर गर्भ में पल रहे हों तो.
अगर यह महिला की दूसरी डिलीवरी हो और उससे पहले की डिलीवरी सी-सेक्शन से हुई हो तो, वजाइनल बर्थ आफ्टर सिजेरियन या VBAC से जुड़े हुए जोखिमों से बचने के लिए LSCS को ही चुना जाता है.
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कई बार माँ की मेडिकल स्थिति को देखते हुए भी डॉक्टर सी-सेक्शन के ज़रिये डिलीवरी करने का निर्णय लेते हैं, जिसमें माँ को मधुमेह या डायबिटीज़, हाई ब्लडप्रेशर, एचआईवी या फिर जेनिटल हर्पीस इन्फेक्शन आदि शामिल है.
इसके अलावा एक बहुत बड़ा कारण यह भी है, कि मौजूदा समय में खुद से महिलाएं वजाइनल डिलीवरी में होने वाले दर्द को सहन न करने या फिर किसी भी प्रकार के पेरिनियल या योनि से जुड़े आघात से बचने के चलते भी सी-सेक्शन के ज़रिये डिलीवरी करवा रही हैं.
इसे भी पढ़ें: कैसे पता लगाएं ये कंट्रक्शन है ब्रेक्सटन हिक्स कंट्रक्शन या रियल कंट्रक्शन?
नॉर्मल डिलीवरी के मुकाबले सी-सेक्शन या LSCS से होने वाली डिलीवरी में बहुत-सी ऐसी बातें हैं, जिनके बारे में आपको पहले से ही जानकारी होनी चाहिए. वजाइनल डिलीवरी में जहां माँ पर खान-पान आदि की बहुत ही काम रोक-टोक होती है, वहीं LSCS के ज़रिये होने वाली डिलीवरी में किसी भी बात को नज़रअंदाज़ कर देना माँ और होने वाले बच्चे के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है.
LSCS डिलीवरी से पहले आप अपने डॉक्टर के संपर्क में ज़रूर रहे और उनके द्वारा बताए हुए दिन, हॉस्पिटल में एडमिट हो जाएं. ऐसा इसलिए कि आपकी सर्जरी से पहले हॉस्पिटल स्टाफ के द्वारा आपके सभी ज़रूरी टेस्ट कर लिए जाएं और आप आख़िरी समय में होने वाले किसी भी प्रकार के तनाव से खुद को बचा सकें.
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अगर आप सी-सेक्शन डिलीवरी करवा रही हैं तो इस बात का विशेष ख़्याल रखें कि आपको डिलीवरी से कम से कम 6 घंटे पहले तक कुछ भी नहीं खाना चाहिए. आम तौर पर डॉक्टर्स सी-सेक्शन से पहले माँ को भोजन न करने के बारे में ही सलाह देते हैं, इससे ऑपरेशन के दौरान माँ या बच्चे को किसी भी प्रकार का जोखिम नहीं होता.
अगर आप पहले से ही जानती हैं कि आपकी सर्जरी होने वाली है तो इस बात का ख़ास ख़्याल रखें कि आप अपने प्यूबिक हेयर या प्राइवेट पार्ट के बालों को शेव ज़रूर करें. सी-सेक्शन में कट प्यूबिक हेयर लाइन के ठीक ऊपर ही लगाया जाता है.
अगर आपको किसी भी दवाई या इंजेक्शन से किसी भी प्रकार की एलर्जी होती हो तो आपको सी-सेक्शन से पहले ही अपनी डॉक्टर को इस बारे में बताना चाहिए.
इसे भी पढ़ें : नॉर्मल डिलीवरी के 7 नॉर्मल लक्षण!
आमतौर पर जो भी डिलीवरी LSCS माध्यम से होती है, उसमें माँ को 2 से 4 दिन के बाद ही हॉस्पिटल से डिस्चार्ज किया जाता है. वहीं नॉर्मल डिलीवरी के मामले में माँ को 24 घंटे के बाद कभी भी डिस्चार्ज किया जा सकता है. सर्जरी के बाद माँ को अपना ध्यान पहले के मुकाबले अधिक रखना पड़ता है.
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माँ को बहुत अधिक परेशानी न हो, इसलिए सर्जरी के बाद लगभग 24 घंटों के लिए कैथेटर (मूत्र नली) लगा के रखा जाता है.
जहाँ नॉर्मल डिलीवरी में माँ कुछ ही देर में बच्चे को स्तनपान करा सकती है, वहीं सी-सेक्शन के बाद इसमें कुछ घंटों का समय लग सकता है. अगर आप भी बच्चे को दूध पिलाने के बारे में सोच रही हैं तो फिर सर्जरी के बाद तकिया का सहारा ज़रूर लें, इससे आपके शरीर पर दबाद कम पड़ेगा .
सर्जरी से होने वाले दर्द को नियंत्रण करने के लिए माँ को कुछ दर्द निवारक दवाएं भी दी जाती हैं, जिनका सेवन सही समय पर बहुत ज़रूरी है.
हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने से पहले ही हॉस्पिटल स्टाफ, माँ को थोड़ा-बहुत चलने को कहता है और यह बहुत ज़रूरी भी है. लेकिन आप इस बात का ध्यान दें कि सर्जरी के बाद अपने शरीर को हल्का-हल्का ही हिलाना शुरू करें, जैसे कि बिस्तर पर ही करवट लेना, उठकर बैठना और धीरे-धीरे चलना.
जब आप हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हो जाएं तो अपने खान-पान का विशेष ख्याल रखें.आमतौर पर डॉक्टर बहुत मसालेदार और तेल-घी वाला भोजन करने से मना करते हैं तो आप भी हल्का, लेकिन पौष्टिक भोजन ही करें.
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कब्ज़ न हो, माँ को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए. दरअसल कब्ज़ की वजह से पेट पर दबाव बनता है और उससे माँ को पेट में दर्द की समस्या भी हो सकती है. इसके अलावा कब्ज़ के कारण पेट के नीचले हिस्से में लगे टांकों पर भी असर पड़ता है.
सी-सेक्शन के बाद आपको टांकों का ख़ास ख़्याल रखना चाहिए. उस हिस्से की साफ़-सफाई को बनाये रखें और टांकों को सुखाने के लिए डॉक्टर आपको जो भी सलाह दें या दवाई दें, उसकी अनदेखी न करें. क्योंकि कई बार माँ को टांकों के गलने, संक्रमण या खुल जाने के कारण भी बहुत समस्या होती है.
अपने शरीर को गर्भावस्था से पहली वाली स्थिति में लाने की जल्दबाज़ी में व्यायाम आदि न करें. साथ ही किसी भी तरह का कोई भी भारी वज़न न उठाएं.
पर्याप्त नींद और आराम लेना भी सर्जरी के बाद बहुत ज़रूरी है, जिससे माँ दोबारा से ऊर्जा पा सके.
डिलीवरी के बाद माँ कई तरह के हॉर्मोनल या फिर भावनात्मक बदलावों से गुज़रती है. अगर आप इसे संभालने में कामयाब न हों तो आपको किसी भी परामर्शदाता की सहायता लेनी चाहिए.
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Mylo की पैरेंटिंग एक्सपर्ट टीम का कहना है कि अगर आपकी भी LSCS डिलीवरी होने वाली है तो आप अपने डॉक्टर के साथ लगातार संपर्क में रहे. सर्जरी के बाद डॉक्टर आपको जो भी दवाई बताएं, उसे समय पर लें और अपने टांकों का भी पूरा ध्यान रखें. डिलीवरी का प्रकार जो भी आप मातृत्व के अपने अनुभव का पूरी तरह से आनंद लें.
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Written by
Ruchi Gupta
A journalist, writer, & language expert, Ruchi is an experienced content writer with more than 19 years of experience & has been associated with renowned Print Media houses such as Hindustan Times, Business Standard, Amar Ujala & Dainik Jagran.
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