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Conception
4 October 2023 को अपडेट किया गया
माँ बनने का सफ़र जितना ख़ूबसूरत होता है, उतना ही मुश्किल भी. जहाँ कुछ महिलाएँ नेचुरल तरीक़े से गर्भधारण कर लेती हैं, तो कुछ महिलाओं को फर्टिलिटी ट्रीटमेंट की ज़रूरत पड़ती है. फर्टिलिटी से संबंधित समस्याओं को हल करने के लिए कई मेडिकल टेक्निक्स उपलब्ध हैं. आज के इस आर्टिकल में हम आपको एक ऐसी ही एक टेक्निक के बारे में बताएँगे और इसका नाम है- 'आईयूआई (IUI)'.
तो चलिए डिटेल में आपको बताते हैं कि यह आईयूआई क्या है (What is IUI treatment in Hindi), आईयूआई प्रेग्नेंसी के लक्षण क्या होते हैं (Pregnancy symptoms after IUI in Hindi) और आईयूआई के कितने दिनों बाद प्रेग्नेंसी टेस्ट किया जा सकता है (Pregnancy test after IUI in Hindi), आदि.
आईयूआई उन कपल्स के लिए एक फर्टिलिटी ट्रीटमेंट होता है, जो नेचुरल तरीक़े से गर्भधारण नहीं कर पाते हैं. आईयूआई यानी कि इंट्रा यूटेराइन इनसेमिनेशन में कैथेटर का उपयोग करते हुए स्पर्म को सीधे महिला के गर्भाशय में डाला जाता है, जिससे फर्टिलाइजेशन और प्रेग्नेंसी की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं.
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इसे भी पढ़ें : IUI से भी हो सकती है प्रेग्नेंसी, जानें क्या होती है इसकी प्रोसेस
आईयूआई टेक्निक के ज़रिये कई कपल्स का पेरेंट्स बनने का सपना पूरा हुआ है. चलिए आपको बताते हैं कि आईयूआई ट्रीटमेंट के अगर गर्भ ठहर जाता है, तो किस तरह के संकेत दिखाई देने लगते हैं!
आईयूआई ट्रीटमेंट के कुछ दिनों बाद महिला पार्टनर को हल्की ब्लीडिंग या स्पॉटिंग का अनुभव हो सकता है. दरअसल, जब फर्टिलाइज्ड एग यूट्राइन लाइनिंग पर अटैच हो जाता है, तो इसके कारण इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग होने लगती है.
इसे भी पढ़ें : आख़िर इम्प्लांटेशन का प्रेग्नेंसी से क्या कनेक्शन होता है?
पीरियड्स मिस होना नेचुरल प्रेग्नेंसी का महत्वपूर्ण लक्षण माना जाता है. आईयूआई के मामले में भी ऐसा ही होता है. अगर आपके अपेक्षित समय पर नहीं आते हैं, तो यह आपके लिए एक गुड न्यूज़ है.
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अगर आपको ब्रेस्ट में भारीपन, संवेदनशीलता या दर्द महसूस होता है, तो इसे भी प्रेग्नेंसी का संकेत माना जा सकता है. हालाँकि, पीरियड्स के दौरान भी कई महिलाओं को ब्रेस्ट में दर्द, भारीपन या कोमलता का अनुभव होता है. लेकिन अगर यही लक्षण पीरियड्स मिस होने के बाद महसूस होते हैं, तो ये एक अच्छी न्यूज़ की तरफ़ इशारा करते हैं.
आईयूआई के बाद असामान्य रूप से थकान महसूस होना पॉजीटिव प्रेग्नेंसी का संकेत हो सकता है. दरअसल, प्रेग्नेंसी के दौरान प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जिसके कारण गर्भवती महिलाओं को नींद आने लगती है.
आईयूआई के बाद मतली या उल्टी का अनुभव होना भी प्रेग्नेंसी का पॉजीटिव लक्षण माना जाता है. दरअसल, गर्भ ठहरने के बाद गर्भवती महिलाओं के शरीर में एचसीजी यानी कि ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन हार्मोन्स का स्तर बढ़ जाता है, जिसके कारण गर्भवती महिलाओं को उल्टी और मतली जैसे लक्षण महसूस होने लगते हैं.
हार्मोन्स में बदलाव होने और किडनी में ब्लड फ्लो का स्तर बढ़ने के कारण ब्लैडर पर अधिक दबाव महसूस होने लगता है, जिसके कारण बार-बार यूरिन पास करने की ज़रूरत महसूस होने लगती है.
अचानक स्मेल आना भी प्रेग्नेंसी का शुरुआती लक्षण हो सकता है. अगर आपको पहले की तुलना में अब हर एक चीज़ की स्मेल आने लगी है, तो यह आईयूआई की सक्सेस का पॉजीटिव संकेत हो सकता है.
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इस समय आपको अचानक कुछ चीज़ों को खाने की क्रेविंग महसूस हो सकती है. यह क्रेविंग आपको दिन या रात के किसी भी समय हो सकती है. क्रेविंग होने का एक मुख्य कारण हार्मोन्स में बदलाव होना होता है.
इसे भी पढ़ें : आईयूआई के बाद किन बातों का रखें ध्यान?
आमतौर पर आईयूआई के 2 हफ़्तों के बाद प्रेग्नेंसी के लक्षण दिखाई देते हैं. हालाँकि, पेशेंट की कंडीशन के आधार पर इस समय में थोड़ा बदलाव भी हो सकता है. इसलिए प्रेग्नेंसी टेस्ट करने में बिल्कुल भी जल्दबाजी न करें. प्रेग्नेंसी टेस्ट करने से पहले आपको इन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
आईयूआई के बाद प्रेग्नेंसी कंफर्म करने के लिए कम से कम 14 दिनों तक इंतज़ार करें. इससे पहले टेस्ट करने पर आपको ग़लत रिज़ल्ट मिल सकता है.
एचसीजी (ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन) हार्मोन का स्तर पता लगाने के लिए सही प्रेग्नेंसी टेस्ट को चुनें.
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प्रेग्नेंसी टेस्ट करने के लिए सुबह के पहले यूरिन का इस्तेमाल करें. दरअसल, इस समय एचसीजी (HCG) का स्तर सबसे अधिक होता है.
सटीक रिज़ल्ट पाने के लिए ज़रूरी है कि आप निर्देशों को ठीक से पढ़ें और उनका पालन करें. बताये गए समय सीमा में ही टेस्ट करें.
अगर आपका प्रेग्नेंसी टेस्ट पॉजीटिव है, तो आप अपने डॉक्टर से फॉलो-अप अप्वाइंमेंट बुक कर सकते हैं. डॉक्टर प्रेग्नेंसी कंफर्म करने के लिए आपको ब्लड टेस्ट करवाने के लिए कह सकते हैं.
आईयूआई प्रोसेस का सक्सेस रेट कपल्स ख़ासकर महिला पार्टनर की उम्र पर निर्भर करता है. चलिए आपको बताते हैं कि उम्र के आधार पर आईयूआई प्रेग्नेंसी का सक्सेस रेट क्या हो सकता है.
उम्र Article continues below advertisment |
सक्सेस रेट |
24 साल या इससे कम उम्र |
37.5% |
25 से 29 साल की उम्र |
28.02% Article continues below advertisment |
30 से 34 साल की उम्र |
26.20% |
35 से 39 साल की उम्र |
22.19% |
40 से 41 साल की उम्र Article continues below advertisment |
21.28% |
42 से 43 साल की उम्र |
14.81% |
43 साल या इससे अधिक उम्र |
8.33% Article continues below advertisment |
अगर आप आईयूआई टेक्निक के ज़रिये प्रेग्नेंसी प्लान करने के बारे में सोच रहे हैं, तो धैर्य से काम करें. ध्यान रखें, अच्छी चीज़ों को होने में समय लगता है.
1. Kucuk T. (2008). Intrauterine insemination: is the timing correct?
2. Panda B, Mohapatra L, Sahu MC, Padhy RN. (2014). Success in pregnancy through intrauterine insemination at first cycle in 300 infertile couples: an analysis. J Obstet Gynaecol India.
3. Guan HJ, Pan LQ, Song H, Tang HY, Tang LS. (2021). Predictors of pregnancy after intrauterine insemination in women with polycystic ovary syndrome.
4. Walker MH, Tobler KJ. (2022). Female Infertility.
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Written by
Jyoti Prajapati
Jyoti is a Hindi Content Writer who knows how to grip the audience with her compelling words. With an experience of more
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