How To Stop Bleeding During Pregnancy in Hindi :गर्भावस्था में रक्तस्राव: इसका क्या अर्थ हो सकता है?|Mylo Family
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In this Article

  • प्रेगनेंसी के पहले ट्राइमेस्टर में ब्लीडिंग होने के कारण
  • 1. इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग
  • 2. एक्टोपिक प्रेगनेंसी
  • 3. मिस-कैरेज
  • 4. अनजान कारण
  • प्रेगनेंसी के दूसरे ट्राइमेस्टर में ब्लीडिंग होने के कारण
  • 1. प्लेसेंटा प्रिविआ
  • 2. प्री-टर्म लेबर
  • 3. देरी से हुआ मिस-कैरेज
  • प्रेगनेंसी के तीसरे ट्राइमेस्टर में ब्लीडिंग होने के कारण
  • 1. प्लेसेंटा प्रिविआ
  • 2. प्लेसेंटा अब्रप्शन
  • 3. वासा प्रिविआ
Bleeding During Pregnancy in Hindi | क्या प्रेग्नेंसी में भी होती है ब्लीडिंग?

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Bleeding During Pregnancy in Hindi | क्या प्रेग्नेंसी में भी होती है ब्लीडिंग?

15 August 2023 को अपडेट किया गया

प्रेगनेंसी एक ऐसा समय होता है जब आप हर कदम फूँक-फूँक कर रखती हैं और कोई भी छोटी सी बात अक्सर आपको चिंतित कर जाती है. इस यात्रा के किसी भी पड़ाव पर यदि आपको ब्लीडिंग हो जाये तो आपका दिल अनगिनत आशंकाओं से भर जाता है और आपके साथ-साथ पूरे परिवार की रातों की नींद उड़ जाती है. यहाँ हम आपको इस पर पूरी जानकारी देंगे ऐसे प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग हो जाना कैसे और क्यों होता है और कब इससे आपको या बेबी को कोई ख़तरा हो सकता है.

प्रेगनेंसी के पहले ट्राइमेस्टर में ब्लीडिंग होने के कारण

1. इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग

प्रेगनेंसी के शुरूआती हफ़्तों में जब एम्ब्र्यो या एग अपनी जड़ यूट्रस की दीवारों में बैठाने लगता है तब कुछ माएँ हल्की स्पॉटिंग का अनुभव करती हैं. ये स्पॉट हलके गुलाबी या गहरे भूरे रंग का होता है और ये अपने-आप रुक जाता है.

2. एक्टोपिक प्रेगनेंसी

इस प्रेगनेंसी का मतलब है जब एग यूट्रस में न ठहर कर के किसी और जगह जैसे कि फ़ेलोपियन ट्यूब आदि में ठहर जाता है. ऐसे में आपको हलकी या भारी ब्लीडिंग हो सकती है. ब्लीडिंग के साथ-साथ पेट के निचले हिस्से में दर्द और भारीपन या कमज़ोरी व चक्कर आना भी इसके लक्षण हैं.

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3. मिस-कैरेज

ज़्यादातर मिस-कैरेज प्रेगनेंसी के 13वें हफ्ते तक हो जाते हैं. यदि आप प्रेग्नेंट हैं और आपको भूरे या सुर्ख लाल रंग की ब्लीडिंग हुई है साथ में पेट में मरोड़ भी उठ रहे हैं तो बिना वक़्त गंवाए डॉक्टर से संपर्क करें.

4. अनजान कारण

शरीर में होने वाले हार्मोन्स में बदलाव, सर्विक्स पर पड़ने वाला प्रेशर, सैक्स या किसी इन्फेक्शन के चलते भी ब्लीडिंग जैसी संभावना हो सकती है.

प्रेगनेंसी के दूसरे ट्राइमेस्टर में ब्लीडिंग होने के कारण

प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही में नार्मल रूप से होने वाली हल्की ब्लीडिंग सर्विक्स की जलन या एक्ससाइटमेंट के कारण हो सकती है जो कि सैक्स या किसी अंदरूनी जांच से पैदा हुई हो.

1. प्लेसेंटा प्रिविआ

बेबी को जन्म से पहले पोषण और ऑक्सीज़न देने वाला प्लेसेंटा आम-तौर पर आपकी पसलियों के पास यूट्रस की दीवार से जुड़ा होता है मगर यदि ये सर्विक्स के मुँह को पूरे या अधूरे रूप से ढक देता है तब बेबी का नेचुरल बर्थ मुश्किल हो जाता है और इस स्थिति में भी आपको ब्लीडिंग का सामना करना पड़ सकता है.

2. प्री-टर्म लेबर

यदि आपको ड्यू डेट से पहले ही लेबर पेन उठने लगते हैं जिसमे आपको रह-रह कर कॉन्ट्रेशन आते हैं साथ ही ब्लीडिंग होती है ये प्री-टर्म लेबर की निशानी हो सकती है.

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3. देरी से हुआ मिस-कैरेज

कुछ ख़ास केस में मिस-कैरेज दूसरी तिमाही में भी हो सकता है ऐसे में भारी ब्लीडिंग हो सकती है.

प्रेगनेंसी के तीसरे ट्राइमेस्टर में ब्लीडिंग होने के कारण

1. प्लेसेंटा प्रिविआ

कई बार दो तिमाही तक ठीक जगह पर रहने पर भी तीसरी तिमाही में बेबी के बार-बार पोज़िशन चेंज करने के कारण प्लेसेंटा प्रिविआ की परेशानी आ सकती है जो कि आप दोनों की जान को ख़तरा बन सकती है.

2. प्लेसेंटा अब्रप्शन

आम तौर पर प्लेसेंटा पूरी प्रेगनेंसी में यूट्रस की दीवार से चिपका होता है और डिलीवरी के दौरान अलग हो कर बहार आ जाता है मगर 100 में से 1 केस में ये समय से पहले ही यूट्रस कि दीवार को छोड़ देता है और इसकी सबसे बड़ी निशानी आपको ब्लीडिंग होना ही है.

3. वासा प्रिविआ

वासा प्रिविआ बहुत ही कम पायी जाने वाली परेशानी है. रिसर्च की मानें तो 56% केस में तो इसका पता ही नहीं चल पता और बेबी की डिलीवरी के पहले ही मौत हो जाती है, लेकिन यदि सही समय पर इसका पता लग जाये तो 97% केस में जान बच जाती है. इसमें बेबी के एम्ब्लिकल कॉर्ड की कुछ ख़ून की नालियां सर्विक्स के अंदर वाले सिरे के आस-पास एक परत के अंदर बिना एम्ब्लिकल कॉर्ड या प्लेसेंटा की सुरक्षा के होती हैं. और सर्विक्स पर ज़्यादा ज़ोर पड़ते कई बार फट जाती हैं.

प्रेगनेंसी में ब्लीडिंग होना हर बार ख़तरे की निशानी नहीं है मगर यदि ये अपने-आप न रुके या ज़्यादा मात्रा में होने लगे तो बिना किसी देरी के अपने डॉक्टर से संपर्क करें.

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Written by

Ravish Goyal

Official account of Mylo Editor

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