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Scans & Tests
19 September 2023 को अपडेट किया गया
Medically Reviewed by
Dr. Shruti Tanwar
C-section & gynae problems - MBBS| MS (OBS & Gynae)
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महिलाओं के शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं. मासिक धर्म चक्र, प्रेग्नेंसी और मेनोपॉज जैसे समय-समय पर आने वाले बदलाव में हार्मोनल बदलाव की मुख्य भूमिका निभाते हैं. इन हार्मोन्स का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है एंटी-मुलेरियन हार्मोन (AMH). यह हार्मोन महिलाओं की रिप्रोडक्टिव हेल्थ को समझने और उससे बेहतर बनाने में मदद करता है. चलिए इस आर्टिकल के ज़रिये आपको डिटेल में बताते हैं कि आख़िर एएमएच क्या है, एएमएच टेस्ट क्या होता है और एएमएच टेस्ट से क्या फ़ायदे होते हैं, आदि.
एएमएच (AMH) का पूरा नाम (AMH full form in Hindi) है - एंटी-मुलेरियन हार्मोन. इस हार्मोन का मुख्य काम ओवरीज में मौजूद एग्स को रेगुलेट करना होता है. महिलाओं की ओवरीज़ में जितने अधिक एएमएच होते हैं, उनकी रिप्रोडक्टिव क्षमता उतनी अधिक होती है. एएमएच का लेवल समय के साथ कम होता है और यह एक महिला की फर्टिलिटी क्षमता को प्रभावित करता है.
एएमएच जानने के बाद चलिए अब जानते हैं कि एएमएच टेस्ट क्या होता है!
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एएमएच टेस्ट एक ब्लड टेस्ट है जिसे लैब में किया जाता है. इस टेस्ट में महिला के ब्लड सैंपल से एएमएच के लेवल को चेक किया जाता है. इस टेस्ट को मासिक धर्म चक्र के किसी भी दिन किया जा सकता है. इसमें कोई ख़ास तैयारी की ज़रूरत नहीं होती है. बता दें कि एएमएच टेस्ट महिलाओं की फर्टिलिटी क्षमता और ओवरियन रिज़र्व को चेक करने के लिए किया जाता है.
एएमएच की नॉर्मल रेंज (AMH test normal range in Hindi) 2.20 - 6.80 ng/mL होती है. अगर इसकी मात्रा 1 ng/ml से कम होती है, तो इसे लो एएमएच (Low AMH in Hindi) कहा जाता है. लो एएमएच होने की स्थिति में गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है.
एएमएच टेस्ट के कई फ़ायदे होते हैं; जैसे कि-
एएमएच टेस्ट से आपको अपनी फर्टिलिटी क्षमता के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है. यह टेस्ट महिलाओं को यह पता लगाने में मदद करता है कि उनकी ओवरीज कितनी एक्टिव है और वह नेचुरल तरीक़े से गर्भधारण कर सकती हैं या नहीं.
इसे भी पढ़ें : फर्टिलिटी पर कैसे होता है एंडोमेट्रियोसिस और एडिनोमायोसिस का असर?
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पीसीओएस महिलाओं को होने वाली एक कॉमन हार्मोनल कंडीशन है जो ओव्यूलेशन को प्रभावित कर सकती है. ऐसे में एएमएच टेस्ट पीसीओएस का पता लगाने में मदद कर सकता है.
एएमएच का लेवल कम होने पर मेनोपॉज की उम्र की प्रिडिक्शन की जा सकती है. इससे महिलाओं को अपनी फैमिली प्लानिंग में मदद मिलती है.
एएमएच टेस्ट पॉजीटिव रिज़ल्ट पाने में मदद कर सकता है. दरअसल, एएमएच लेवल के आधार पर डॉक्टर्स फर्टिलिटी ट्रीटमेंट कस्टमाइज कर सकते हैं, जिससे पॉजीटिव रिज़ल्ट पाने की संभावना बढ़ जाती हैं.
एएमएच टेस्ट की मदद से महिलाओं को ओवरीज़ या फर्टिलिटी प्रॉब्लम को पहचानने में मदद मिलती है. इससे वे समय रहते इसका इलाज करवा सकती हैं, और बाद में होने वाले कॉम्प्लिकेशन से बच सकती हैं. इसके साथ ही, एएमएच टेस्ट से महिलाएँ फैमिली प्लानिंग के लिए समय पर सही फैसला ले सकती हैं.
आईवीएफ जैसे फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के लिए भी एएमएच टेस्ट किया जाता है. इससे डॉक्टर्स को पेशेंट के रिस्पॉन्स और ट्रीटमेंट प्लान करने में मदद मिलती है.
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इसे भी पढ़ें : शुरू से लेकर अंत तक ऐसी होती है आईवीएफ की प्रोसेस
एएमएच टेस्ट से आपको पता चलता है कि आपकी फर्टिलिटी जर्नी किस तरह से प्रभावित होने वाली है, जिससे आप मेंटल और इमोशलन तौर पर तैयार हो सकते हैं. एएमएच टेस्ट से अगर कोई प्रॉब्लम आती है, तो आप समय रहते उसका इलाज कर सकते हैं और अपनी फर्टिलिटी क्षमता को बेहतर बना सकते हैं.
एएमएच टेस्ट का खर्चा शहर और लैब के आधार पर अलग-अलग हो सकता है. आमतौर पर एएमएच टेस्ट का प्राइस 1000 रुपये से लेकर 3000 रुपये तक हो सकता है. कुछ प्राइवेट डायग्नोस्टिक सेंटर और हॉस्पिटल एएमएच टेस्ट करवाने के पैकेज भी ऑफ़र करते हैं, जिसमें कई और फर्टिलिटी टेस्ट शामिल होते हैं. इन पैकेज की कीमत भी अलग-अलग होती है और पेशेंट की कंडीशन पर भी निर्भर करती है.
एएमएच ब्लड टेस्ट की प्रोसेस बहुत आसान होती है. आपको बस इन स्टेप्स को फॉलो करना होता है
सबसे पहले आपको अपने डॉक्टर से सलाह लेकर एएमएच टेस्ट के लिए अपॉइंटमेंट बुक करना होगी.
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टेस्ट के दिन आपको लैब या डायग्नोस्टिक सेंटर जाना होगा. आमतौर पर एक्सपर्ट टेस्ट के लिए सुबह का समय कहते हैं, क्योंकि इस समय एएमएच लेवल सही होता है. इस समय नर्स या कोई मेडिकल एक्सपर्ट आपका ब्लड सैंपल लेगा. आमतौर पर ब्लड सैंपल लेने के लिए हाथ की किसी एक नस से सुई की मदद से ब्लड लिया जाता है और ब्लड सैंपल को लैब भेज दिया जाता है, जहाँ पर एएमएच के स्तर को चेक किया जाता है.
ब्लड सैंपल लैब भेजने के एक या कुछ दिन बाद डॉक्टर आपको एएमएच टेस्ट की रिपोर्ट देंगे. इस टेस्ट में आपके एएमएच लेवल की मात्रा होती है, जिसकी मदद से आपकी रिप्रोडक्टिव हेल्थ की स्थिति को जाना जा सकता है.
एएमएच टेस्ट जहाँ महिलाओं की रिप्रोडक्टिव हेल्थ की स्थिति बताता है, वहीं इसकी कुछ सीमाएँ भी होती हैं; जैसे कि-
एएमएच टेस्ट फर्टिलिटी की स्थिति का पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन यह फर्टिलिटी से संबंधित हर स्थिति की जानकारी नहीं देता है. इसमें दूसरे फैक्टर्स भी शामिल होते हैं; जैसे- एग क्वालिटी, फैलोपियन ट्यूब की स्थित और मेल पार्टनर के स्पर्म क्वालिटी, आदि. इसके अलावा, एएमएच टेस्ट फाल्स पॉजीटिव या फाल्स नेगेटिव रिज़ल्ट भी दे सकता है. यानी कि यह टेस्ट ग़लत रिज़ल्ट भी दे सकता है. इसलिए इसके टेस्ट को दूसरे फर्टिलिटी टेस्ट और मेडिकल हिस्ट्री के साथ देखना ज़रूरी होता है.
एएमएच लेवल उम्र के साथ नेचुरली कम होते हैं. ये मात्रा एक व्यक्ति की उम्र और जेनेटिक फैक्टर्स पर निर्भर करती है. इसलिए एएमएच टेस्ट के रिज़ल्ट को उम्र के साथ देखा जाना चाहिए.
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एएमएच टेस्ट एक महिला की रिप्रोडक्टिव हेल्थ का पता लगाने का एक महत्वपूर्ण तरीक़ा है, लेकिन इसके रिज़ल्ट को समझना और सही मेडिसिन के साथ सही सलाह भी ज़रूरी होती है. इसलिए एएमएच टेस्ट के रिज़ल्ट के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें और उनकी सलाह का पालन करें.
1. Moolhuijsen LME, Visser JA. (2020). Anti-Müllerian Hormone and Ovarian Reserve: Update on Assessing Ovarian Function.
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3.Shrikhande L, Shrikhande B, Shrikhande A. (2020). AMH and Its Clinical Implications. J Obstet Gynaecol India.
4.Moolhuijsen LME, Visser JA. (2020). Anti-Müllerian Hormone and Ovarian Reserve: Update on Assessing Ovarian Function.
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Dr. Shruti Tanwar
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Jyoti Prajapati
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