प्लेसेंटा: प्लेसेंटा क्या है और यह कैसे काम करता है
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In this Article

  • प्लेसेंटा क्या है?
  • What is a placenta?
  • प्लेसेंटा क्या करता है?
  • What does the placenta do?
  • प्लेसेंटा की हेल्थ को कौन से फैक्टर अफेक्ट करते हैं?
  • What factors influence the placenta health?
  • मां की उम्र:
  • मोटापा:
  • हाई ब्लड प्रेशर:
  • पदार्थ का इस्तेमाल:
  • पेट में चोट लगना:
  • इन्फेक्शंस :
  • कौन सी प्लेसेंटल समस्याएं सबसे कॉमन हैं?
  • What placental problems are most common?
  • प्लेसेंटल समस्याओं के लक्षण क्या हैं?
  • What are the symptoms of placental problems?
  • प्लेसेंटल समस्याओं के रिस्क को कैसे कम करें?
  • How to reduce the risk of placental problems?
  • निष्कर्ष
  • Conclusion
Placenta in Hindi | प्लेसेंटा क्या है और यह कैसे काम करता है?

Placental Abruption

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Placenta in Hindi | प्लेसेंटा क्या है और यह कैसे काम करता है?

10 August 2023 को अपडेट किया गया

प्रेगनेंसी अक्सर महिला के लिए एक बहुत ही एक्साइटिंग लेकिन चैलेंजिंग समय होता है. यूट्रस के अंदर बढ़ते बच्चे को एकोमोडेट करने के लिए शरीर कई तरह से बदलता और फैलता है. दरअसल, इस समय महिला के शरीर में एक पूरा ऑर्गन डेवलप हो जाता है जिसे प्लेसेंटा के नाम से जाना जाता है. इसकी फंक्शनिंग, इससे जुड़ी कुछ समस्याएं और हेल्थी प्रेगनेंसी के लिए इन समस्याओं से बचने के कुछ उपाय यहां बताए जाएंगे..

प्लेसेंटा क्या है?

What is a placenta?

प्लेसेंटा एक ऑर्गन है जो प्रेगनेंसी के दौरान यूट्रस में डेवलप होता है. यह बच्चे के ब्लड से वेस्ट प्रोडक्ट को हटाने के साथ-साथ पेट में बच्चे को ऑक्सीजन और नुट्रिएंट्स पहुंचाता है. यह ऑर्गन यूट्रस की दीवार और गर्भनाल से जुड़ा होता है. यह एक टेम्परेरी ऑर्गन है जो तब बनना शुरू होता है जब फर्टिलाइज़्ड अंडा एंडोमेट्रियम या यूट्रस के अंदर प्रत्यारोपित होता है. प्लेसेंटा बच्चे के साथ बढ़ता है और बच्चे के जन्म के बाद काट कर निकल दिया जाता है.

प्लेसेंटा क्या करता है?

What does the placenta do?

प्लेसेंटा का मुख्य काम मां के ब्लड से बच्चे के ब्लड में ऑक्सीजन और नूट्रिएंट्स को ट्रांसफर करना है. प्लेसेंटा बच्चे के ब्लड से वेस्ट प्रोडक्ट्स को हटाने में भी मदद करता है.

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प्लेसेंटा गर्भनाल द्वारा बच्चे से जुड़ा होता है. गर्भनाल में दो आर्टरीज और एक नस होती है. आर्टरीज ऑक्सीजन-गंदे ब्लड को बच्चे से प्लेसेंटा तक ले जाती हैं, और नस ऑक्सीजन साफ ब्लड को प्लेसेंटा से वापस बच्चे तक ले जाती हैं.

प्लेसेंटा की हेल्थ को कौन से फैक्टर अफेक्ट करते हैं?

What factors influence the placenta health?

प्लेसेंटा वह महत्वपूर्ण ऑर्गन है जो प्रेगनेंसी के दौरान डेवलप होता है और पेट में बढ़ते बच्चे को नुट्रिएंट्स और ऑक्सीजन देता है. प्लेसेंटा की हेल्थ कई तरह के फैक्टर्स से अफेक्ट हो सकती है, जिसमें मां की हेल्थ, उसकी डाइट और टोक्सिन या इंफेक्शन के संपर्क में आना शामिल है. यहां कुछ फैक्टर्स पर विचार किया गया है:

मां की उम्र:

Maternal age: 40 वर्ष से ज्यादा उम्र की माताओं में प्लेसेंटल फंक्शन कॉम्प्लीकेटेड हो सकते हैं.

मोटापा:

Obesity: मां का मोटापा भी प्लेसेंटा के लिए काफी प्रबल रिस्की फैक्टर है, यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें प्लेसेंटा यूट्रस ग्रीवा के पार्ट या पूरे को कवर कर लेता है. इससे प्रसव के दौरान ब्लीडिंग और कॉम्प्लीकेशंस हो सकते हैं.

हाई ब्लड प्रेशर:

High blood pressure: यह भी प्लेसेंटा को बुरी तरह अफेक्ट कर सकता है.

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पदार्थ का इस्तेमाल:

Substance abuse: शराब, सिगरेट या ड्रग्स जैसे टॉक्सिन पदार्थों के संपर्क में आने से भी प्लेसेंटा को नुकसान हो सकता है और फीटल (भ्रूण) के डेवलपमेंट पर बुरा असर पड़ सकता है..

पेट में चोट लगना:

Trauma to the abdomen: पेट में अचानक लगने वाली गंभीर चोट भी प्लेसेंटा को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकती है. इसलिए, प्रेगनेंट माताओं को ले जाते समय सावधानी बरतनी चाहिए.

इन्फेक्शंस :

Infections: इन्फेक्शंस भी प्लेसेंटल समस्याओं का एक अन्य सामान्य कारण है. ज़िका वायरस या साइटोमेगालोवायरस जैसे इन्फेक्शंस प्लेसेंटा को नुकसान पहुंचा सकते हैं और गंभीर बर्थ डिफेक्ट पैदा कर सकते हैं.

कौन सी प्लेसेंटल समस्याएं सबसे कॉमन हैं?

What placental problems are most common?

सबसे कॉमन प्लेसेंटल समस्याएं प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही के दौरान होती हैं, जब प्लेसेंटा सबसे तेजी से बढ़ रहा होता है.

-सबसे कॉमन प्लेसेंटल समस्या प्लेसेंटा प्रेविया है, जहां प्लेसेंटा थोड़ा बहुत या पूरी तरह से यूट्रस ग्रीवा को कवर कर लेता है.

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-प्लेसेंटल एबॉर्शन, जहां प्लेसेंटा यूट्रस की दीवार से अलग हो जाता है, यह एक और गंभीर प्लेसेंटल समस्या है.

-प्लेसेंटल एक्स्ट्रेटा एक और कंडीशन है जहां प्लेसेंटा जन्म के बाद भी यूट्रस की दीवार से मजबूती से जुड़ा होता है, जिससे भारी ब्लीडिंग और कॉम्प्लीकेशंस होते हैं.

प्लेसेंटल समस्याओं के लक्षण क्या हैं?

What are the symptoms of placental problems?

प्रेगनेंसी के दौरान कुछ दूसरे प्रकार की प्लेसेंटा समस्याएं भी हो सकती हैं. प्लेसेंटा की समस्या का सबसे कॉमन लक्षण ब्लीडिंग होना है. यह हल्के धब्बे से लेकर भारी ब्लीडिंग होने तक हो सकता है और प्रेगनेंसी के दौरान किसी भी समय हो सकता है. अन्य लक्षणों में पेट या पेल्विस में दर्द, कंट्रेक्शन, या फीटल के मूवमेंट में कमी आना हो सकता है. अगर कोई इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव कर रहा है, तो तुरंत हेल्थकेयर प्रोवाइडर से संपर्क करना बहुत जरूरी है.

प्लेसेंटल समस्याओं के रिस्क को कैसे कम करें?

How to reduce the risk of placental problems?

प्लेसेंटा एक काम्प्लेक्स ऑर्गन है जो प्रेगनेंसी के दौरान बढ़ते फीटल को सपोर्ट करने के लिए डेवलप होता है. यह मां और बच्चे के बीच नूट्रिएंट्स और वेस्ट को लाने-ले जाने का काम करता है, और बच्चे के टेम्प्रेचर को कंट्रोल करने में भी मदद करता है.

प्लेसेंटल समस्या तब हो सकती है जब प्लेसेंटा ठीक से डेवलप नहीं हो पाता है, या जब यह यूट्रस की दीवार से अलग हो जाता है. इससे मां और बच्चे दोनों के लिए गंभीर हेल्थ कॉम्प्लीकेशन्स हो सकते हैं.

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प्लेसेंटल समस्याओं के रिस्क को कम करने के लिए बहुत सी चीजें की जा सकती हैं:

- यह सुनिश्चित कीजिए कि प्रेगनेंसी के दौरान मां को पूरा नूट्रिशन मिले

- तम्बाकू, शराब या अन्य पदार्थों के सेवन से बचें

- हाई ब्लड प्रेशर जैसी क्रोनिक मेडिकल कंडीशंस को कंट्रोल करें

- लैमेज़ जैसी चाइल्ड बर्थ जैसी क्लासेज अटेंड कर हेल्थी डिलीवरी की तैयारी करें

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- प्लेसेंटल समस्याओं के संकेतों और लक्षणों को जानेँ और समझें ताकि जरूरत पड़ने पर तुरंत मेडिकल मदद ली जा सके.

निष्कर्ष

Conclusion

निष्कर्ष यही है कि, प्लेसेंटा एक महत्वपूर्ण ऑर्गन है जो यूट्रस में पल रहे बढ़ते बच्चे को सपोर्ट करने में मदद करता है. यह समझना भी जरूरी है कि प्लेसेंटा कैसे काम करता है और हेल्थी प्रेगनेंसी सुनिश्चित करने के लिए यह क्या करता है. दुर्भाग्य से, ऐसे कई कारण हैं जिनसे प्लेसेंटल कॉम्प्लीकेशन्स हो सकते हैं, जो इसके काम को खराब कर सकता है. हालांकि, सही प्रीमेप्टिव तरीकों से इसे रोका जा सकता है. प्रेगनेंसी से जुड़ें कॉम्प्लीकेशन्स या हेल्थी डिलीवरी की सलाह के बारे में ज्यादा जानने के लिए, Mylo Family की वेबसाइट देखें.

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Written by

Parul Sachdeva

A globetrotter and a blogger by passion, Parul loves writing content. She has done M.Phil. in Journalism and Mass Communication and worked for more than 25 clients across Globe with a 100% job success rate. She has been associated with websites pertaining to parenting, travel, food, health & fitness and has also created SEO rich content for a variety of topics.

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