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Periods
21 August 2023 को अपडेट किया गया
हर महीने महिलाओं को पीरियड्स के दर्द से गुज़रना पड़ता है, जिसमें क्रैम्प्स, मूड स्विंग्स, पेट दर्द और सिर दर्द होना बहुत ही आम है. पीरियड्स के दौरान होने वाली ब्लीडिंग का महिलाओं की सेहत पर बहुत असर होता है. ऐसे में कम ब्लीडिंग होना एक चिंता का विषय हो सकता है. इस आर्टिकल में जानिए कि आख़िर पीरियड्स के दौरान महिलाओं को कम ब्लीडिंग क्यों होती है, और इसे कैसे ठीक किया जा सकता है.
जब पीरियड्स के दौरान महिलाएँ हल्की या कम ब्लीडिंग महसूस करती हैं, तो इसे मेडिकल भाषा में हाइपोमेनोरिया (Hypomenorrhea meaning in Hindi) कहा जाता है. ऐसी स्थिति में एक महिला को कुछ दिन ही ब्लीडिंग होती है और यह ब्लीडिंग पहले की तुलना में कम होती है.
हाइपोमेनोरिया के कुछ अन्य सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:
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पेट में ऐंठन या दर्द महसूस होना (Abdominal cramps or pain)
नियमित ब्लीडिंग के बजाय स्पॉटिंग होना (Spotting instead of regular bleeding)
अनियमित मासिक चक्र (Irregular menstrual cycle)
मासिक धर्म का देरी से शुरू होना (Delayed onset of menstruation)
इसे भी पढ़ें : Amenorrhea Meaning in Hindi | एमेनोरिया क्या है? जानें क्या होते हैं इसके लक्षण
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हाइपोमेनोरिया यानी कि पीरियड्स के दौरान कम ब्लीडिंग होने के कई कारण हो सकते हैं; जैसे कि-
हाइपोमेनोरिया शरीर में हार्मोनल असंतुलन के कारण हो सकता है. एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन्स मासिक धर्म चक्र (Menstrual cycle) को नियमित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. अगर इन दोनों हार्मोन्स में किसी भी तरह का असंतुलन होता है, तो हाइपोमेनोरिया होने की संभावना बढ़ जाती है.
इसके अलावा कुछ ऐसे हार्मोन्स भी होते हैं, जिनके असंतुलित होने पर पीरियड्स में लो ब्लीडिंग होती हैं; जैसे कि-
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) (Polycystic ovary syndrome (PCOS)
थायराइड डिसऑर्डर (Thyroid disorders)
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पिट्यूटरी ग्रंथि डिसऑर्डर (Pituitary gland disorders)
प्री मैच्योर ओवेरियन फेलियर (Premature ovarian failure)
मेनोपॉज (Menopause)
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ज़रूरत से ज़्यादा एक्सरसाइज करना आप पर भारी पड़ सकता है. इसके अलावा, अगर किसी महिला का वज़न कम होता है, तो इससे हाइपोमेनोरिया हो सकता है.
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स्ट्रेस का असर आपके पीरियड्स पर हो सकता है. लंबे समय तक स्ट्रेस में रहने के कारण मासिक धर्म चक्र अनियमित हो सकता है.
कुपोषण से आयरन जैसे आवश्यक पोषक तत्वों की कमी हो सकती है, जिससे एनीमिया हो सकता है. एनीमिया के कारण पीरियड्स के दौरान ब्लड फ्लो कम हो सकता है.
बर्थ कंट्रोल पिल्स, आईयूडी या हार्मोनल थेरेपी, आदि के कारण भी हाइपोमेनोरिया हो सकता है.
एंडोमेट्रिओसिस एक ऐसी बीमारी है, जिसके कारण ओवरी में सिस्ट बनने लगते हैं और इस सिस्ट के अंदर ब्लड जमा होने लगता है. इसके कारण हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ जाता है, जिसके चलते पीरियड्स के दौरान ब्लड फ्लो कम हो जाता है.
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ट्यूबरक्लोसिस फेफड़ों को प्रभावित करता है, हालाँकि कुछ महिलाओं को यूटरस में भी ट्यूबरक्लोसिस हो सकता है. जब यह यूटरस में होता है, तो इसके कारण यूटरस की लाइनिंग ही सबसे पहले प्रभावित होती है और इस वजह से पीरियड्स के दौरान ब्लो का फ्लो कम हो जाता है.
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हाइपोमेनोरिया का इलाज इसके कारणों पर निर्भर करता है. हालाँकि, हाइपोमेनोरिया के कुछ कॉमन ट्रीटमेंट ऑप्शन कुछ इस प्रकार हो सकते हैं
अगर हाइपोमेनोरिया हार्मोनल असंतुलन के कारण होता है, तो डॉक्टर हार्मोनल थेरेपी, जैसे बर्थ कंट्रोल पिल्स या हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी बदलने के लिए कह सकते हैं. इससे मासिक धर्म चक्र को नियमित करने और हार्मोन्स को संतुलित करने में मदद मिल सकती है. कुछ मामलों में डॉक्टर सर्जरी के लिए भी कह सकते हैं.
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अगर हाइपोमेनोरिया तनाव, कुपोषण या एनीमिया के कारण होता है, तो लाइफस्टाइल में बदलाव करके इसे ठीक किया जा सकता है. हाइपोमेनोरिया को ठीक करने के लिए आप इन नेचुरल उपायों पर ग़ौर कर सकते हैं:
आयरन और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर संतुलित डाइट फॉलो करें
आयरन सप्लीमेंट लें
एक्सरसाइज, मेडिटेशन और अन्य रिलेक्स टेक्निक की मदद से स्ट्रेस को कम करें
पर्याप्त नींद लें
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अदरक, दालचीनी, या सौंफ के बीज जैसे हर्बल चीज़ों का सेवन करें
स्मोकिंग और अल्कोहल के सेवन से बचें
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जिन महिलाओं को हाइपोमेनोरिया का अनुभव होता है, उन्हें इस बारे में एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए. इसके अलावा, अगर हाइपोमेनोरिया के साथ पेट में दर्द, बुखार या मतली जैसे अन्य लक्षण भी महसूस हो, तो डॉक्टर से परामर्श करने में बिल्कुल भी देरी न करें.
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हाइपोमेनोरिया एक मेडिकल कंडीशन है, जो हार्मोनल असंतुलन, तनाव और कुपोषण आदि के कारण हो सकता है. जिन महिलाओं को हाइपोमेनोरिया महसूस होता है, उन्हें समय रहते डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए. साथ ही, अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करके आप इस स्थिति को मैनेज कर सकती हैं.
1. Thiyagarajan DK, Basit H, Jeanmonod R. (2022). Physiology, Menstrual Cycle.
2. Long WN. (1990) Abnormal Vaginal Bleeding. In: Walker HK, Hall WD, Hurst JW, editors. Clinical Methods: The History, Physical, and Laboratory Examinations.
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Written by
Jyoti Prajapati
Jyoti is a Hindi Content Writer who knows how to grip the audience with her compelling words. With an experience of more
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