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Hormones
20 August 2023 को अपडेट किया गया
असंतुलित हार्मोन्स और इस से जुड़ी दिक्कतें आज के समय की एक बड़ी समस्या है जिसमें खास तौर पर इररेगुलर पीरियड्स (Periods irregular kyo hote hai) होने लगते हैं. शादीशुदा महिलाओं में प्रेग्नेंसी में रुकावट आने लगती है क्योंकि ये हार्मोन्स ओव्यूलेशन से लेकर एंडोमीट्रियम और प्रोगेस्टेरोन के बनने की प्रक्रिया के लिए ज़रूरी होते हैं. इन हार्मोन्स में असंतुलन फ़ीमेल रीप्रोडक्टिव सिस्टम में अनियमितता पैदा करता है जिससे गर्भधारण प्रभावित होता है. आइये सबसे पहले जानते हैं कि हॉर्मोनल इंबैलेंस क्यों होता है.
हॉर्मोनल असंतुलन के कई कारण होते हैं जैसे कि
प्रोजेस्टेरोन (Progesterone) में कमी आना. यह एक ज़रूरी हार्मोन है और शरीर को प्रेग्नेंसी के लिए तैयार करने में मदद करता है. इसकी कमी से गर्भधारण में रुकावट पैदा होने लगती है.
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थायराइड (Thyroid) संबंधित समस्याएं, जैसे कि थायराइड ग्लैण्ड का ज़रूरत से कम या ज़्यादा काम करना भी हार्मोन्स असंतुलन का कारण बन सकता है.
ओव्यूलेशन (Ovulation) ओवेरीज़ से एग रिलीज़ होने की प्रक्रिया है जिसमें किसी भी कारण से रुकावट आने पर हार्मोन्स गड़बड़ा सकते हैं.
पोलिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) जिसमें यूट्रस में छोटी-छोटी सिस्ट्स बन जाती हैं जिनसे हार्मोनल असंतुलन पैदा होने लगता है.
अनियमित और अव्यवस्थित रूटीन, स्टेस, व्यायाम की कमी, ग़लत खान-पान और मोटापा भी हार्मोन्स संबंधी समस्या पैदा करते हैं.
हार्मोनल असंतुलन का फर्टिलिटी से सीधा संबंध है और इससे प्रेग्नेंसी के चांसेज में कमी आ सकती है. ऐसा होने के पीछे रीप्रोडक्टिव सिस्टम में आने वाली ऐसी गड़बड़ियाँ और असंतुलन हैं जो हार्मोन्स के उचित सीक्रेशन के कारण नियंत्रित रहते हैं. इन गड़बड़ियों में मुख्य हैं,
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ये सभी कारण अलग-अलग रूप से या कई बार एक साथ भी महिला की फर्टिलिटी पर असर डालते हैं जिससे उसकी गर्भधारण की क्षमता कम हो जाती है.
महिलाओं में हार्मोन्स असंतुलन के लक्षण क्या होते हैं? (Symptoms of hormonal imbalance in women in Hindi)
अक्सर महिलाएँ सोचती हैं कि उनके पीरियड्स अचानक से ((Periods irregular kyo hote hai) इररेगुलर क्यों हो रहे हैं. हार्मोन्स की अनियमितता का यह सबसे कॉमन संकेत है.
इसके अलावा मासिक के दौरान बहुत ज़्यादा, बहुत कम या थक्कों में खून का आना.
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चेहरे पर एक्ने होना जो आसानी से ठीक नहीं होते हैं.
अधिक वज़न बढ़ना या घटना.
हार्मोन्स असंतुलन के कारण मूड स्विंग्स; जैसे कि चिड़चिड़ापन, उदासी, चिंता और बिना बात के गुस्सा आना.
पुरुषों में भी हार्मोन्स के असंतुलन के कई लक्षण होते हैं जैसे कि:
कुछ ख़ास शारीरिक लक्षणों का उभरना जैसे कि बहुत कम या ज़रूरत से ज़्यादा स्टेमिना, हमेशा रहने वाली थकान, मन और शरीर की कमजोरी, बालों का गिरना और वज़न का अप्राकृतिक रूप से बढ्ना या घटना.
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इसके अलावा पुरुषों में मूड स्विंग्स की शिकायत भी हो सकती है जो उदासी, चिंता, उल्लास की कमी, गुस्से या चिढ़चिढ़ेपन की रूप में दिखाई देती है.
हार्मोन्स के असंतुलन के कारण पुरुषों में अक्सर इरेक्टाइल डिसफंक्शन होने लगता है जिससे सेक्स के दौरान पर्याप्त यौन उत्तेजना नहीं हो पाती है.
हार्मोन्स में गड़बड़ी, पुरुषों में प्रोस्टेट ग्लैण्ड के फंग्शन को खराब कर सकती हैं जिससे पेशाब से संबंधित समस्याएँ होने लगती हैं.
हार्मोनल इंबैलेंस के कारण वज़न का गिरना भी एक सामान्य लक्षण है जिसमें ज़रूरत से कहीं ज़्यादा वेट लॉस हो जाता है.
ना केवल गर्भधारण और फर्टिलिटी के लिए बल्कि सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए हार्मोन्स का संतुलित रहना बेहद ज़रूरी है. इसके लिए एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाकर आप हार्मोनल इंबैलेंस की समस्या से बच सकते हैं. फिर भी यदि किसी कारण से आप इस की चपेट में आ जाएँ तो तुरंत किसी अच्छे डॉक्टर की सलाह से उचित ट्रीटमेंट और मार्गदर्शन लेने में देर नहीं करनी चाहिए.
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1.Walker MH, Tobler KJ. (2023). Female Infertility.
2. Carson SA, Kallen AN. ( 2021). Diagnosis and Management of Infertility: A Review.
3. Skoracka K, Ratajczak AE, Rychter AM, Dobrowolska A, Krela-Kaź
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Written by
Kavita Uprety
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