ऐसे करें गर्भधारण के लिए असंतुलित हार्मोन्स को संतुलित!
hamburgerIcon

Searc

Orders

login

Profile

STORE
Skin CareHair CarePreg & MomsBaby CareDiapersMoreGet Mylo App

Get MYLO APP

Install Mylo app Now and unlock new features

💰 Extra 20% OFF on 1st purchase

🥗 Get Diet Chart for your little one

📈 Track your baby’s growth

👩‍⚕️ Get daily tips

OR

Cloth Diapers

Diaper Pants

This changing weather, protect your family with big discounts! Use code: FIRST10This changing weather, protect your family with big discounts! Use code: FIRST10
ADDED TO CART SUCCESSFULLY GO TO CART

Article Continues below advertisement

  • Home arrow
  • Hormones arrow
  • How to Treat Hormonal Imbalance to Get Pregnant in Hindi | गर्भधारण के लिए कैसे करें असंतुलित हार्मोन्स को संतुलित? arrow

In this Article

  • हार्मोन्स असंतुलित क्यों होते हैं? (Causes of hormone imbalance in Hindi)
  • आइये अब समझते हैं कि किस तरह से हार्मोनल असंतुलन फर्टिलिटी (fertility) को प्रभावित करता है.
  • असंतुलित हार्मोन्स कैसे करते हैं फर्टिलिटी को प्रभावित? (How hormonal imbalance affects fertility in Hindi)
  • आइये अब जानते हैं हॉर्मोनल असंतुलन होने पर महिला और पुरुष में किस तरह के लक्षण दिखाई देते हैं.
  • पुरुषों मे हार्मोन्स असंतुलन के लक्षण क्या होते हैं? (Symptoms of Hormonal Imbalance in men in Hindi)
  • असंतुलित हार्मोन्स को कैसे करें संतुलित? (How to balance hormones in Hindi)
  • प्रो टिप (Pro Tip)
  • रेफरेंस
How to Treat Hormonal Imbalance to Get Pregnant in Hindi | गर्भधारण के लिए कैसे करें असंतुलित हार्मोन्स को संतुलित?

Hormones

views icons1927

How to Treat Hormonal Imbalance to Get Pregnant in Hindi | गर्भधारण के लिए कैसे करें असंतुलित हार्मोन्स को संतुलित?

20 August 2023 को अपडेट किया गया

असंतुलित हार्मोन्स और इस से जुड़ी दिक्कतें आज के समय की एक बड़ी समस्या है जिसमें खास तौर पर इररेगुलर पीरियड्स (Periods irregular kyo hote hai) होने लगते हैं. शादीशुदा महिलाओं में प्रेग्नेंसी में रुकावट आने लगती है क्योंकि ये हार्मोन्स ओव्यूलेशन से लेकर एंडोमीट्रियम और प्रोगेस्टेरोन के बनने की प्रक्रिया के लिए ज़रूरी होते हैं. इन हार्मोन्स में असंतुलन फ़ीमेल रीप्रोडक्टिव सिस्टम में अनियमितता पैदा करता है जिससे गर्भधारण प्रभावित होता है. आइये सबसे पहले जानते हैं कि हॉर्मोनल इंबैलेंस क्यों होता है.

हार्मोन्स असंतुलित क्यों होते हैं? (Causes of hormone imbalance in Hindi)

हॉर्मोनल असंतुलन के कई कारण होते हैं जैसे कि

  • प्रोजेस्टेरोन (Progesterone) में कमी आना. यह एक ज़रूरी हार्मोन है और शरीर को प्रेग्नेंसी के लिए तैयार करने में मदद करता है. इसकी कमी से गर्भधारण में रुकावट पैदा होने लगती है.

    Article continues below advertisment

  • थायराइड (Thyroid) संबंधित समस्याएं, जैसे कि थायराइड ग्लैण्ड का ज़रूरत से कम या ज़्यादा काम करना भी हार्मोन्स असंतुलन का कारण बन सकता है.

  • ओव्यूलेशन (Ovulation) ओवेरीज़ से एग रिलीज़ होने की प्रक्रिया है जिसमें किसी भी कारण से रुकावट आने पर हार्मोन्स गड़बड़ा सकते हैं.

  • पोलिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) जिसमें यूट्रस में छोटी-छोटी सिस्ट्स बन जाती हैं जिनसे हार्मोनल असंतुलन पैदा होने लगता है.

  • अनियमित और अव्यवस्थित रूटीन, स्टेस, व्यायाम की कमी, ग़लत खान-पान और मोटापा भी हार्मोन्स संबंधी समस्या पैदा करते हैं.

आइये अब समझते हैं कि किस तरह से हार्मोनल असंतुलन फर्टिलिटी (fertility) को प्रभावित करता है.

असंतुलित हार्मोन्स कैसे करते हैं फर्टिलिटी को प्रभावित? (How hormonal imbalance affects fertility in Hindi)

हार्मोनल असंतुलन का फर्टिलिटी से सीधा संबंध है और इससे प्रेग्नेंसी के चांसेज में कमी आ सकती है. ऐसा होने के पीछे रीप्रोडक्टिव सिस्टम में आने वाली ऐसी गड़बड़ियाँ और असंतुलन हैं जो हार्मोन्स के उचित सीक्रेशन के कारण नियंत्रित रहते हैं. इन गड़बड़ियों में मुख्य हैं,

Article continues below advertisment

  • इरेगुलर ओव्यूलेशन (Irregular Ovulation): हार्मोन्स के असंतुलन के कारण, ओव्यूलेशन में अनियमितता या ओव्यूलेशन न हो पाने की दिक्कत हो सकती हैं जिससे प्रेग्नेंसी पर असर पड़ता है.
  • यूट्रीन में कमजोरी (Impaired Uterine Lining): हार्मोन्स का असंतुलन होने पर गर्भाशय की अंदरूनी सतह प्रेग्नेंसी के लिए ठीक से तैयार नहीं हो पाती जिससे यूट्रस में एग का इंप्लांटेशन नहीं हो पाता है.
  • फैलोपियन ट्यूब डिस्फ़ंग्शन (Fallopian Tube Dysfunction): हार्मोनल असंतुलन होने पर फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक हो सकती है जिससे अंडे और स्पर्म के आपस में मिलने में रुकावट पैदा होती है.
  • युट्रीन में गर्मी का बढ्ना (Increased Uterine Temperature): हार्मोन्स के असंतुलन के कारण, युट्रीन का टेम्परेचर भी गड़बड़ा सकता है जिससे प्रेग्नेंसी एस्टेब्लिश नहीं हो पाती है.
  • सर्वाइकल म्यूकस में असंतुलन (Disturbance in Cervical Mucus): हार्मोनल असंतुलन से सर्वाइकल म्यूकस की प्रकृति और क्वालिटी में फ़र्क़ आ सकता है जिससे इसमें स्पर्म के जीवित रहने और आगे बढ्ने की क्षमता पर प्रतिकूल असर पड़ता है.

ये सभी कारण अलग-अलग रूप से या कई बार एक साथ भी महिला की फर्टिलिटी पर असर डालते हैं जिससे उसकी गर्भधारण की क्षमता कम हो जाती है.

आइये अब जानते हैं हॉर्मोनल असंतुलन होने पर महिला और पुरुष में किस तरह के लक्षण दिखाई देते हैं.

महिलाओं में हार्मोन्स असंतुलन के लक्षण क्या होते हैं? (Symptoms of hormonal imbalance in women in Hindi)

  • अक्सर महिलाएँ सोचती हैं कि उनके पीरियड्स अचानक से ((Periods irregular kyo hote hai) इररेगुलर क्यों हो रहे हैं. हार्मोन्स की अनियमितता का यह सबसे कॉमन संकेत है.

  • इसके अलावा मासिक के दौरान बहुत ज़्यादा, बहुत कम या थक्कों में खून का आना.

    Article continues below advertisment

  • चेहरे पर एक्ने होना जो आसानी से ठीक नहीं होते हैं.

  • अधिक वज़न बढ़ना या घटना.

  • हार्मोन्स असंतुलन के कारण मूड स्विंग्स; जैसे कि चिड़चिड़ापन, उदासी, चिंता और बिना बात के गुस्सा आना.

पुरुषों मे हार्मोन्स असंतुलन के लक्षण क्या होते हैं? (Symptoms of Hormonal Imbalance in men in Hindi)

पुरुषों में भी हार्मोन्स के असंतुलन के कई लक्षण होते हैं जैसे कि:

  • कुछ ख़ास शारीरिक लक्षणों का उभरना जैसे कि बहुत कम या ज़रूरत से ज़्यादा स्टेमिना, हमेशा रहने वाली थकान, मन और शरीर की कमजोरी, बालों का गिरना और वज़न का अप्राकृतिक रूप से बढ्ना या घटना.

    Article continues below advertisment

  • इसके अलावा पुरुषों में मूड स्विंग्स की शिकायत भी हो सकती है जो उदासी, चिंता, उल्लास की कमी, गुस्से या चिढ़चिढ़ेपन की रूप में दिखाई देती है.

  • हार्मोन्स के असंतुलन के कारण पुरुषों में अक्सर इरेक्टाइल डिसफंक्शन होने लगता है जिससे सेक्स के दौरान पर्याप्त यौन उत्तेजना नहीं हो पाती है.

  • हार्मोन्स में गड़बड़ी, पुरुषों में प्रोस्टेट ग्लैण्ड के फंग्शन को खराब कर सकती हैं जिससे पेशाब से संबंधित समस्याएँ होने लगती हैं.

  • हार्मोनल इंबैलेंस के कारण वज़न का गिरना भी एक सामान्य लक्षण है जिसमें ज़रूरत से कहीं ज़्यादा वेट लॉस हो जाता है.

असंतुलित हार्मोन्स को कैसे करें संतुलित? (How to balance hormones in Hindi)

  • एक स्वस्थ शरीर और मन के लिए हार्मोन्स का संतुलन बेहद ज़रूरी है और इसकी शुरुवात लाइफस्टाइल और आहार से संबंधित बदलाव से की जा सकती है. आइये जानते हैं इसके लिए क्या करना चाहिए.
  • हेल्दी डाइट फॉलो करें (Follow healthy diet) – सबसे पहले अपनी आहार संबंधी आदतों को बदलें और एक होलसम डाइट को अपनाएँ जिसमें फल, प्रोटीन, सुपरफूड्स, हरे पत्तेदार सब्ज़ियाँ, हेल्दी फैट्स और सलाद को शामिल करें.
  • योग और मेडिटेशन करें (Practice yoga and meditation) – योगासन और मेडिटेशन से मन शांत रहता है और स्ट्रेस दूर रहता है जिससे हार्मोन्स के संतुलन में मदद मिलती है.
  • तनाव से दूर रहें (Stay away from stress) – स्ट्रेस को कम करना हार्मोन्स को संतुलित रखने में मददगार है इसके लिए आप हेल्दी एंटेरटेनमेंट के अलावा अपनी पसंदीदा हॉबी में खुद को व्यस्त रखें.
  • ख़ूब पानी पिएँ (Drink enough water) – हमारा शरीर 80% जल है इसलिए शरीर में इसका सही संतुलन बनाए रखने के लिए दिन में 2 से 3 लीटर तक पानी ज़रूर पिएँ.
  • पर्याप्त नींद लें (Get enough sleep) - पर्याप्त और गहरी नींद लेने से शरीर को रेस्ट मिलता है और हार्मोन्स संतुलित रहते हैं. रात में कम से कम 7-8 घंटे की नींद ज़रूर लें.
  • कैफ़ीन की मात्रा सीमित करें (Limit caffeine intake)- चाय, कॉफ़ी, शराब और सिगरेट का अधिक सेवन हार्मोनल इंबैलेंस पैदा कर सकता है इसलिए इन्हें कम से कम प्रयोग करें या पूरी तरह से इनसे बचें.
  • वज़न पर नियंत्रण रखें (Control your weight) - हार्मोनल संतुलन में वेट मैनेजमेंट का अहम रोल है. एक्सट्रा वज़न, खास तौर पर पेट के आसपास चर्बी का जमा होना हार्मोनल संतुलन को प्रभावित करता है. वज़न को नियंत्रित रखकर आप हार्मोन्स के संतुलन को सुधार सकते हैं इसलिए उचित आहार और व्यायाम के द्वारा वेट को कंट्रोल में रखें.

प्रो टिप (Pro Tip)

ना केवल गर्भधारण और फर्टिलिटी के लिए बल्कि सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए हार्मोन्स का संतुलित रहना बेहद ज़रूरी है. इसके लिए एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाकर आप हार्मोनल इंबैलेंस की समस्या से बच सकते हैं. फिर भी यदि किसी कारण से आप इस की चपेट में आ जाएँ तो तुरंत किसी अच्छे डॉक्टर की सलाह से उचित ट्रीटमेंट और मार्गदर्शन लेने में देर नहीं करनी चाहिए.

Article continues below advertisment

रेफरेंस

1.Walker MH, Tobler KJ. (2023). Female Infertility.

2. Carson SA, Kallen AN. ( 2021). Diagnosis and Management of Infertility: A Review.

3. Skoracka K, Ratajczak AE, Rychter AM, Dobrowolska A, Krela-Kaź

Is this helpful?

thumbs_upYes

thumb_downNo

Written by

Kavita Uprety

Get baby's diet chart, and growth tips

Download Mylo today!
Download Mylo App

RECENTLY PUBLISHED ARTICLES

our most recent articles

foot top wavefoot down wave

AWARDS AND RECOGNITION

Awards

Mylo wins Forbes D2C Disruptor award

Awards

Mylo wins The Economic Times Promising Brands 2022

AS SEEN IN

Mylo Logo

Start Exploring

wavewave
About Us
Mylo_logo

At Mylo, we help young parents raise happy and healthy families with our innovative new-age solutions:

  • Mylo Care: Effective and science-backed personal care and wellness solutions for a joyful you.
  • Mylo Baby: Science-backed, gentle and effective personal care & hygiene range for your little one.
  • Mylo Community: Trusted and empathetic community of 10mn+ parents and experts.