कॉन्ट्रैक्शन: इसके मतलब और प्रकार
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In this Article

  • प्रेग्नेंसी में कॉन्ट्रैक्शन का क्या मतलब है? (What contraction means in pregnancy)
  • कॉन्ट्रैक्शन के प्रकार (Types of contractions)
  • लेबर कॉन्ट्रैक्शन शुरू हों तो क्या करें (What to do when labor contractions start )
  • लेबर कॉन्ट्रैक्शन के चरण (Stages of labor contractions )
  • लेबर के लक्षण क्या हैं? (What are the signs of labor?)
  • कॉन्ट्रैक्शन के दौरान रिलेक्स कैसे रहें (How to stay relaxed throughout contractions)
  • फिजिशियन को कब फोन करें (When to call your physician)
  • सारांश (Conclusion)
Contraction Meaning in Hindi | प्रेग्नेंसी में कॉन्ट्रैक्शन का मतलब क्या होता है?

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Contraction Meaning in Hindi | प्रेग्नेंसी में कॉन्ट्रैक्शन का मतलब क्या होता है?

13 August 2023 को अपडेट किया गया


प्रेग्नेंसी के दौरान बच्चेदानी में कसाव और सिकुड़न को कॉन्ट्रैक्शन कहा जाता है। ये एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिससे बच्चा दुनिया में आता है.

प्रेग्नेंसी में कॉन्ट्रैक्शन का क्या मतलब है? (What contraction means in pregnancy)

कॉन्ट्रैक्शन के दौरान, बच्चेदानी कसती और सिकुड़ती है ताकि बच्चा धीरे-धीरे कोख से बाहर आ सके. ज्यादातर महिलाएं प्रेगनेंसी के आखिरी दिनों में कॉन्ट्रैक्शन महसूस करती हैं.

कॉन्ट्रैक्शन के प्रकार (Types of contractions)

कई महिलाएं प्रेग्नेंसी की अलग-अलग अवस्थाओं में कॉन्ट्रैक्शन का अनुभव करती हैं. शुरुआती कॉन्ट्रैक्शन आमतौर पर नुकसान नहीं करते हैं और कुछ देर में कम भी हो जाते हैं. बेहतर समझ के लिए गर्भवती महिलाओं में कॉन्ट्रैक्शन को निम्न प्रकारों में बांटा गया है.

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1. जल्दी या प्री-टर्म कॉन्ट्रैक्शन (Early or pre-term contractions) – प्रेग्नेंसी के 37वें हफ्ते से पहले महसूस होने वाले कॉन्ट्रैक्शन को प्री-टर्म कॉन्ट्रैक्शन कहते हैं. इसमें मां को कुछ मिनटों के लिए कॉन्ट्रैक्शन और दिक्कत महसूस हो सकती है. डीहायड्रेशन, तनाव, कब्ज और गैस के कारण भी कॉन्ट्रैक्शन जल्दी हो सकते हैं.
2. ब्रेक्सटेन-हिक्स कॉन्ट्रैक्शन (Braxton-Hicks contractions) – दूसरी तिमाही में महसूस होने वाले कॉन्ट्रैक्शन को ब्रेक्सटेन-हिक्स कॉन्ट्रैक्शन कहा जाता है. ये कुछ मिनटों तक रहते हैं और ये आमतौर पर बहुत ज्यादा शारीरिक मेहनत के बाद आते हैं.
3. सेक्स कॉन्ट्रैक्शन (Sex contractions) – जैसा कि नाम से ही पता चलता है ये कॉन्ट्रैक्शन ऑर्गेस्म से बढ़ते हैं. अगर कॉन्ट्रैक्शन एक घंटे बाद भी रहता है तो डॉक्टर से परामर्श लेने की सलाह दी जाती है.
4. लेबर कॉन्ट्रैक्शन (Labor contractions) – ये कॉन्ट्रैक्शन प्रेग्नेंसी के आखिरी दिनों में महसूस होते हैं. मां अक्सर कॉन्ट्रैक्शन महसूस करती हैं और समय के साथ दर्द भी बढ़ता जाता है. इस समय सुरक्षित प्रसव के लिए मेडिकल मदद जरूरी होती है.

लेबर कॉन्ट्रैक्शन शुरू हों तो क्या करें (What to do when labor contractions start )

लेबर कॉन्ट्रैक्शन आमतौर पर प्रेग्नेंसी के आखिरी दिनों में शुरू होते हैं. मां को इस वक्त सतर्क रहना चाहिए और अपने कॉन्ट्रैक्शन पर नजर बनाए रखनी चाहिए. लेबर कॉन्ट्रैक्शन अक्सर होते हैं और फॉल्स कॉन्ट्रैक्शन से कहीं ज्यादा असर डालते हैं. दाईयां सलाह देती हैं कि मां को अस्पताल जाना चाहिए जब

  • कॉन्ट्रैक्शन 1 मिनट से ज्यादा समय तक रहें
  • कॉन्ट्रैक्शन की फ्रेक्वेंसी बढ़ जाए और ज्यादा प्रभाव डालने लगे
  • कॉन्ट्रैक्शन 5 मिनट से भी कम समय के लिए हों

स्वस्थ प्रसव के लिए जरूरी है कि लेबर कॉन्ट्रैक्शन शुरू होने पर मेडिकल हेल्प ली जाए।

लेबर कॉन्ट्रैक्शन के चरण (Stages of labor contractions )

लेबर कॉन्ट्रैक्शन बहुत गंभीर कॉन्ट्रैक्शन के साथ नहीं शुरू होते हैं. बल्कि कई महिलाएं असल लेबर कॉन्ट्रैक्शन से पहले फॉल्स कॉन्ट्रैक्शन भी महसूस करती हैं. प्रेग्नेंसी के आखिरी दिनों में गर्भवती महिलाओं को महसूस होने वाले ये कॉन्ट्रैक्शन दो तरह के होते हैं.
1. फॉल्स लेबर – ये कॉन्ट्रैक्शन अक्सर नहीं होते हैं और अगर मां आराम करने के साथ अपनी स्थिति बदले तो आमतौर पर ये ख़त्म हो जाते हैं. ये फॉल्स लेबर कॉन्ट्रैक्शन अक्सर एक्टिव लेबर कॉन्ट्रैक्शन के लक्षण के तौर पर शुरू होते हैं. ये कॉन्ट्रैक्शन डिलीवरी के लिए बच्चे की तैयारी के प्राकृतिक लक्षण होते हैं.
2. एक्टिव लेबर(Active labor) – जब कॉन्ट्रैक्शन गंभीर होते हैं और बार-बार होते जाते हैं तो इसे एक्टिव लेबर कहते हैं. ये कॉन्ट्रैक्शन आमतौर पर प्रेग्नेंसी के आखिरी दिनों में शुरू होते हैं और ये बच्चे के जन्म का निश्चित संकेत होते हैं. मां को अगर गंभीर कॉन्ट्रैक्शन महसूस हो रहे हैं तो इस स्थिति में उन्हें तुरंत मेडिकल हेल्प लेनी चाहिए.

लेबर के लक्षण क्या हैं? (What are the signs of labor?)

कई बार मां के लिए ये समझना कठिन होता है कि वो क्या महसूस कर रही हैं। कुछ मांएं फॉल्स लेबर और एक्टिव लेबर में अंतर नहीं कर पाती हैं। इसलिए हर कॉन्ट्रैक्शन महसूस करने के बाद तनाव में आ जाती हैं.
एक्टिव लेबर के दौरान मां को मेडिकल हेल्प की जरूरत होती है. मां को जिन लक्षणों को एक्टिव लेबर के संकेत मानना चाहिए, वो हैं:
1. कॉन्ट्रैक्शन का असर और अवधि बढ़ते जाए
2. लोवर बैक और एबडॉमिनल में लगातार होने वाला दर्द
3. वेजिना ने भूरा या लाल डिस्चार्ज
4. एम्निओटिक फ्लूड डिसचार्ज (वाटर ब्रेकिंग)

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कॉन्ट्रैक्शन के दौरान रिलेक्स कैसे रहें (How to stay relaxed throughout contractions)

कॉन्ट्रैक्शन और लेबर का पूरा अनुभव हर मां के लिए अलग होता है। कुछ मांएं 24 घंटों से भी ज्यादा समय के लिए लेबर से गुजरती हैं तो कुछ इस प्रक्रिया से आसानी से निकल जाती हैं. पहली बार मां बनने वाली महिलाएं पहले मां बन चुकी महिलाओं की तुलना में ज्यादा देर लेबर का सामना करती हैं.
किसी भी मामले में, कॉन्ट्रैक्शन में बहुत दर्द होता है और मां को इसकी वजह से बहुत परेशानी होती है. कॉन्ट्रैक्शन के दौरान रिलेक्स रहने के लिए मां ये सुझाव अपना सकती हैं:
1. मसाज करें
2. म्यूजिक सुनें
3. मन बदलें
4. सांसों पर ध्यान दें
5. एक्टिव रहें
6. दर्द निवारक दवाएं लें

फिजिशियन को कब फोन करें (When to call your physician)

मां को जब अहसास हो कि एक्टिव लेबर शुरू हो गए हैं तो उन्हें अपने फिजिशियन से बात करनी चाहिए. ज्यादातर मेडिकल स्टाफ यही सलाह देते हैं कि एक्टिंग लेबर शुरू होने के बाद उन्हें अस्पताल जाना चाहिए. इस तरह से मां को अस्पताल में कम रहना पड़ेगा और वह घर पर आराम कर सकेगी.

सारांश (Conclusion)

ज्यादातर मांओं के लिए प्रेग्नेंसी बेहतरीन अनुभव होता है लेकिन कुछ आखिर के दिनों में डरने लगती हैं. ऐसा ज्यादातर बार लेबर की प्रक्रिया से जुड़ी गलतफहमी की वजह से होता है. नई मां को कॉन्ट्रैक्शन और लेबर के बारे में सबकुछ जानकर डिलीवरी के लिए तैयार रहना चाहिए. प्रेग्नेंसी और डिलीवरी के बारे में ज्यादा जानने के लिए Mylo App देखें.

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Written by

Jyoti Prajapati

Jyoti is a Hindi Content Writer who knows how to grip the audience with her compelling words. With an experience of more

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