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Women Specific Issues
22 September 2023 को अपडेट किया गया
Medically Reviewed by
Dr. Shruti Tanwar
C-section & gynae problems - MBBS| MS (OBS & Gynae)
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ऑलिगोमेनोरिया एक मेडिकल टर्म है जिसका मतलब है इरेगुलर मेंस्ट्रुएशन या बहुत कम पीरियड्स होना. इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि यह एक ऐसी स्थिति है जहाँ एक महिला को सामान्य मेंस्ट्रुअल साइकिल से कहीं अधिक लंबे अंतराल पर पीरियड्स होने लगते हैं. आइये इसे विस्तार से समझते हैं.
ओलिगोमेनोरिया की स्थिति में महिला का सामान्य मेंस्ट्रुअल साइकिल जो 21 से 35 दिन का होता है वो और अधिक देरी से होने लगता है. यह अंतराल 35 दिनों से भी अधिक लंबा और कभी-कभी तो 45 दिनों का भी हो जाता है. सामान्य मेंस्ट्रुअल साइकिल में जहाँ लगभग 2 से 7 दिनों तक ब्लीडिंग होती है वहीं ऑलिगोमेनोरिया (Oligomenorrhea in hindi) में न केवल पीरियड्स के बीच लंबा अंतराल होता है; बल्कि कभी- कभी हल्की ब्लीडिंग भी हो सकती है. हालाँकि मेंस्ट्रुअल साइकिल का कभी-कभी इरेगुलर हो जाना सामान्य बात है, लेकिन ऑलिगोमेनोरिया किसी अंडरलाइन हेल्थ प्रॉब्लम का लक्षण भी हो सकता है; जैसे कि पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS), थायराइड (Thyroid) या अन्य हार्मोनल (Hormonal Imbalance) असंतुलन.
आइये अब आपको बताते हैं कि ओलिगोमेनोरिया (Oligomenorrhea in hindi) को किन लक्षणों से पहचाना जा सकता है.
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ऑलिगोमेनोरिया का ख़ास लक्षण है पीरियड्स की असामान्यता; जैसे कि
मेंस्ट्रुअल साइकिल का ऐसा पैटर्न जो 35 दिनों से अधिक अंतराल में होता हो या साल भर में नौ मेंस्ट्रुअल साइकिल से कम होते हों.
मेंस्ट्रुअल साइकिल का ऐसा पैटर्न जिसमें एक साइकिल से दूसरे साइकिल के बीच का अंतर समान न हो और मासिक की ड्यूरेशन में भी काफी अंतर हो.
पीरियड्स में सामान्य से हल्की ब्लीडिंग होना और कम समय के लिए होना.
कुछ मामलों में, ऑलिगोमेनोरिया से पीड़ित महिलाओं को कई महीनों या उससे भी अधिक समय तक पीरियड्स ही नहीं होते हैं.
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इरेगुलेरिटी के कारण अगले पीरियड्स की संभावित डेट का पता न लगा पाना.
पीरियड्स के दौरान ब्लीडिंग का फ्लो एक हर मेंस्ट्रुअल साइकिल में हल्के से लेकर भारी तक अलग-अलग पैटर्न का होना.
ओलिगोमेनोरिया के लक्षणों के बाद अब आपको बताएँगे कि ये समस्या किन कारणों की वजह से होती है.
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ओलिगोमेनोरिया के कई कारण हैं जिनका संबंध अधिकतर हार्मोन्स की गड़बड़ी या फिर फ़ीमेल रिप्रोडक्टिव सिस्टम से जुड़ी किसी समस्या से होता है. इसमें सबसे पहला कारण है;
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पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic ovary syndrome (PCOS) एक हार्मोनल विकार है जिसमें ओवरी में कई छोटे-छोटे सिस्ट बन जाते हैं जिनसे हार्मोनल असंतुलन और इंसुलिन रेसिस्टेंस भी हो सकता है. इस कारण अक्सर अनियमित पीरियड्स की समस्या आती है.
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प्रोलैक्टिनोमा इसका दूसरा कारण है जो पिट्यूटरी ग्लैंड का एक नॉन कैंसरस ट्यूमर है. इसके कारण प्रोलैक्टिन (prolactin) हार्मोन का प्रोडक्शन बढ़ जाता है. एक्सट्रा प्रोलैक्टिन से एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन (estrogen and progesterone) इंबैलेंस होने लगते हैं जिससे मेंस्ट्रुअल साइकिल डिस्टर्ब हो जाता है.
प्राइमरी ओवेरियन सिंड्रोम (POI) एक ऐसी स्थिति है जिसमें ओवरी 40 वर्ष से पहले ही प्रीमैच्योर तरीक़े से काम करना कम कर देती है या समय से महले मेनोपोज हो जाता है. इससे फ़ोलिकल्स में गिरावट और एस्ट्रोजेन प्रोडक्शन में कमी आ जाती है और यह स्थिति ऑलिगोमेनोरिया का कारण बन सकती है.
थायराइड ग्रंथि से जुड़ी हुई अनियमितताएँ; जैसे कि हाइपोथायरायडिज्म यानी कि अंडरएक्टिव थायराइड (underactive thyroid) या हाइपरथायरायडिज्म यानी कि सामान्य से ज़्यादा एक्टिव थायराइड (overactive thyroid) मेंस्ट्रुअल साइकिल को डिस्टर्ब करता है जिससे ऑलिगोमेनोरिया हो सकता है.
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कुछ मामलों में ऑलिगोमेनोरिया का संबंध पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (Pelvic Inflammatory Disease - PID) से भी होता है. पीआईडी रिप्रोडक्टिव ऑर्गन्स का इन्फेक्शन है जो ख़ास तौर पर गर्भाशय (uterus), फैलोपियन ट्यूब (fallopian tubes) और ओवरी (ovaries) में होता है. इसका कारण अक्सर गोनोरिया (gonorrhea) या क्लैमाइडिया (chlamydia) जैसे सेक्शुअल इन्फेक्शन (sexually transmitted infections - SIT) होते हैं. इससे रिप्रोडक्टिव ऑर्गन्स में सूजन और घाव हो जाते हैं जिससे मेंस्ट्रुअल साइकिल गड़बड़ा जाता है और ऑलिगोमेनोरिया जैसी प्रॉब्लम हो सकती है.
ऑलिगोमेनोरिया का एक और कारण डायबिटीज भी होता है जिसमें ब्लड शुगर बढ़ जाती है जिससे मेटाबॉलिज्म पर खराब असर पड़ता है. लंबे समय तक शुगर के अनियंत्रित रहने से हार्मोनल इंबैलेंस हो सकता है जिससे मेंस्ट्रुअल साइकिल गड़बड़ा जाता है.
ईटिंग डिसऑर्डर; जैसे- एनोरेक्सिया नर्वोसा (anorexia nervosa) या बुलिमिया नर्वोसा (bulimia nervosa) के अलावा भोजन में कैलोरी की बेहद कम मात्रा लेने से भी शरीर में हार्मोनल बैलेंस खराब हो सकता है. शरीर में ज़रूरत से कम फैट होने पर भी एस्ट्रोजन के प्रोडक्शन में कमी आ सकती है जिससे ऑलिगोमेनोरिया जैसी मेंस्ट्रुअल इरेगुलरिटीज़ हो सकती हैं.
ज़रूरत से ज़्यादा और एक्सरसाइज या फिज़िकल ट्रेनिंग के कारण शरीर का वज़न बेहद कम होने पर हार्मोनल बैलेंस बिगड़ सकता है जिससे मेंस्ट्रुअल साइकिल अनियमित हो जाता है. इस स्थिति को एक्सरसाइज से होने वाला एमेनोरिया (exercise-induced amenorrhea) कहा जाता है जिसमें पीरियड्स बहुत ही कम या पूरी तरह से बंद हो जाते हैं.
एमेनोरिया के पीछे छुपे इन कारणों को जानने के बाद अब बात करते हैं इसके ट्रीटमेंट की.
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ऑलिगोमेनोरिया के कारण होने वाले अनियमित पीरियड्स के इलाज़ के लिए कई तरीक़े हो सकते हैं जो इस बात पर निर्भर करते हैं कि यह किस वजह से हुआ है. इनमें से कुछ इस प्रकार हैं
यदि ऑलिगोमेनोरिया का कारण हार्मोनल असंतुलन है, तो ऐसे में हार्मोनल थेरेपी दी जाती है. इसमें मेंस्ट्रुअल साइकिल को नियमित करने और हार्मोनल संतुलन लाने के लिए ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स का उपयोग भी किया जाता है
लाइफस्टाइल में कुछ ख़ास तरह के बदलाव; जैसे कि वज़न कम करना, स्ट्रेस से बचना, नियमित व्यायाम और संतुलित आहार खाने से भी मासिक धर्म को नियमित करने में मदद मिलती है.
अगर किसी अंडरलाइन कंडीशन या रोग के कारण ऑलिगोमेनोरिया की स्थिति बन रही है; जैसे कि पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (polycystic ovary syndrome - PCOS), थायराइड असंतुलन (Thyroid disorders) या पेल्विक सूजन (pelvic inflammatory disease - PID), तो इस के इलाज़ से पीरियड्स को रेगुलर करने में मदद मिलती है.
यदि ईटिंग डिसॉर्डर ऑलिगोमेनोरिया का कारण बन रहा है तो ऐसे में, साइकोलॉजिकल और न्यूट्रिशनल एडवाइस के माध्यम से उसे कंट्रोल किया जाता है.
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ऑलिगोमेनोरिया एक कॉम्प्लेक्स समस्या है लेकिन साथ ही यह ध्यान रखना भी ज़रूरी है कि कभी-कभी पीरियड्स का इरेगुलर हो जाना आम है और हमेशा ये ज़रूरी नहीं कि यह किसी रोग का लक्षण हो. हालाँकि, अगर लगातार ही अनियमित पीरियड्स होते रहे और इसके साथ तेज़ दर्द, अधिक ब्लीडिंग या अन्य मेंस्ट्रुअल इरेगुलेरिटीज़ भी हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
1. Riaz Y, Parekh U. (2023). Oligomenorrhea.
2. Long WN. (1990). Abnormal Vaginal Bleeding. In: Walker HK, Hall WD, Hurst JW, editors. Clinical Methods: The History, Physical, and Laboratory Examinations.
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Kavita Uprety
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