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In Vitro Fertilization (IVF)
9 August 2023 को अपडेट किया गया
प्रेग्नेंट होना सिर्फ एक मुश्किल फ़ैसला नहीं है; यह एक मुश्किल प्रक्रिया भी हो सकती है . कई कपल को मेडिकल हेल्प की ज़रूरत होती है, क्योंकि वे नॉर्मल तरीके से प्रेग्नेंट होने में असमर्थ होते हैं. इसके अलावा, समलैंगिक पेरेंट्स या सिंगल पेरेंट्स बच्चे पैदा करने के लिए मेडिकल हेल्प लेने का विकल्प चुनते हैं. लोग आमतौर पर जिन दो प्रक्रियाएं से गुजरते हैं वे हैं -
कई कपल के लिए अच्छी खबर यह है कि आईवीएफ और आईयूआई जैसे फर्टिलिटी ट्रीटमेंट हैं जो उन्हें प्रेग्नेंट होने में मदद करते हैं. आईयूआई और आईवीएफ में क्या अंतर है? ये दोनों ट्रीटमेंट आर्टिफ़िशियल फर्टिलिटी में मदद करती हैं जिसकी वजह से कुदरती रूप से प्रेग्नेंट ना हो पाने वाली महिला, प्रेग्नेंट हो सकती है. आईयूआई प्रक्रिया में स्पर्म को इंजेक्शन के ज़रिए एक महिला के गर्भाशय में पहुंचाया जाता है. दूसरी ओर आईवीएफ में रिप्रोडक्शन तकनीक का इस्तेमाल करते हुए कई स्टेप शामिल हैं जहां डॉक्टर और विशेषज्ञ पहले अंडे को स्टिमुलेट करते हैं, फिर इसे लैब में स्पर्म के साथ फर्टिलाइज़ करते हैं, और इसके बाद महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर कर देते हैं.
आईयूआई और आईवीएफ आर्टिफ़िशियल फर्टिलिटी ट्रीटमेंट हैं, फिर भी इसके कई फायदे हैं. आईयूआई का प्रोसेस स्पर्म को फर्टिलाइज़ेशन के लिए तेज़ी से सीधे अंडे की ओर जाने में मदद करता है . कुदरती गर्भाधान के दौरान, स्पर्म को अंडे से जुड़ने में ज़्यादा वक़्त लग सकता है साथ ही सबसे ताकतवर स्पर्म ही गर्भाशय तक पहुँच पाता है.
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आईवीएफ के कई फायदे हैं - कोई भी महिला आईवीएफ ट्रीटमेंट करवा सकती है और इससे बड़ी उम्र की महिलाओं में भी गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है. कई महिलाएं आईवीएफ का विकल्प चुनती हैं, क्योंकि वे अपने अनुसार समूचे समय को कंट्रोल कर सकती हैं और इस प्रक्रिया से एक हेल्दी बच्चे को जन्म देने की संभावना बढ़ती है.
एक कपल के रूप में, यदि आप फर्टिलिटी से जुड़ी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं, तो यह समय आईयूआई और आईवीएफ में से आपके लिए क्या बेहतर विकल्प है यह जाँचने का है. आईवीएफ अपनाने का सुझाव आमतौर पर उन कपल को दिया जाता है जिन्हें आईयूआई ट्रीटमेंट से फायदा नहीं हुआ, जो बच्चे को जेनेटिक डिसॉर्डर विरासत में मिलने के बारे में परेशान हैं, या गंभीर पुरुष-बांझपन के मामलों में या उन महिलाओं को जिनकी फैलोपियन ट्यूब में दिक्कत है.
डॉक्टरों द्वारा बांझपन से गुजर रहे रोगियों को खासतौर पर आईयूआई की सलाह दी जाती है और ज़्यादातर लोग आईवीएफ ट्रीटमेंट से पहले आईयूआई ट्रीटमेंट के कुछ राउन्ड ट्राइ करते हैं. आईयूआई के 3-4 राउन्ड ट्राइ करने पर सफलता मिलने की संभावना ज़्यादा होती है क्योंकि यह प्रक्रिया ओव्यूलेशन के दौरान ज़्यादा से ज़्यादा संख्या में स्पर्म को अंडे तक पहुंचने देती है.
आईयूआई प्रक्रिया आमतौर पर ओव्यूलेशन शुरू होने के 1-2 दिन बाद की जाती है. अपने डॉक्टर के साथ बैठना और इस प्रक्रिया को समझने के लिए एक टाइमलाइन या प्लान बनाना महत्वपूर्ण है साथ ही यह जानना भी कि आप उस दौरान क्या महसूस कर सकते हैं. ज्यादातर लोग आईयूआई प्रक्रिया अपने मेंस्ट्रुअल सायकल के 10-14 दिन बाद शुरू करते हैं. आईयूआई के लिए पार्टनर को सीमन के सैम्पल देने के लिए कहा जाता है.
ज़्यादातर, आईवीएफ ट्रीटमेंट सायकल, महिला के मेंस्ट्रुअल पीरियड के पहले दिन से शुरू होता है. यह ट्रीटमेंट लगभग 4 सप्ताह बाद प्रेगनेंसी ब्लड टेस्ट के साथ समाप्त होता है. हालांकि, इस बात की प्रबल संभावना रहती है, कि पहले ट्रीटमेंट से सफलता नहीं मिलती है और कई महिलाओं को एक पॉज़िटिव प्रेगनेंसी टेस्ट तक आने के लिए कई आईवीएफ सायकल से गुज़रना पड़ता है.
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आप सोच रहे होंगे कि आईयूआई बनाम आईवीएफ में क्या महंगा है? भारत में फर्टिलिटी ट्रीटमेंट की लागत हर एक केस की जटिलता के स्तर और हर एक कपल की खास ज़रूरतों पर निर्भर करती है. आमतौर पर, एक आईयूआई सायकल की लागत 6,000 रुपये से 9,000 रुपये के बीच हो सकती है, हालांकि, यह लागत अलग-अलग फर्टिलिटी सेंटर पर अलग-अलग हो सकती है. आईयूआई प्रक्रिया के अलावा, कंसलटेशन, दवा और अन्य सहायक लागतें भी हो सकती हैं.
दूसरी ओर आईवीएफ, आईयूआई सायकल से महंगा है. कुछ लोग हॉस्पिटल या फर्टिलिटी सेंटर और मरीज की ज़रूरतों के आधार पर 70,000 रुपये और 1,25,000 रुपये के बीच की लागत का अनुमान लगाते हैं.
आईवीएफ और आईयूआई दोनों असरदार हैं; यदि आप सोच रहे हैं कि आईयूआई और आईवीएफ में से कौन बेहतर है, तो यह आपकी खास ज़रूरत और आप जीवन की किस स्टेज पर हैं इस पर निर्भर करता है. आईयूआई फर्टिलाइज़ेशन शरीर के अंदर होता है, इसलिए यह उन लोगों के लिए सही नहीं हो सकता है जिनका रिप्रोडक्शन सिस्टम हेल्दी नहीं है. दूसरी ओर, आईवीएफ लैब में किया जाता है, इसलिए यह अधिक असरदार हो सकता है. हालांकि, यह कई रोगियों के लिए किफ़ायती विकल्प नहीं हो सकता है.
आईयूआई की सक्सेस रेट 7-10% हो सकती है. आईयूआई को अन्य फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के साथ मिलाकर देने से सक्सेस रेट लगभग 15-25% तक बढ़ सकती है.
आईवीएफ की सक्सेस रेट काफी हद तक महिला के स्वास्थ्य और उम्र पर निर्भर करती है. 35 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं से अंडे रिट्रीव करने की दर 55% है. उम्र बढ़ने के साथ अंडे रिट्रीव करने की संभावना कम हो जाती है.
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यदि आपका आईयूआई सायकल सफल नहीं रहा और आईवीएफ ने भी काम नहीं किया है, तो निराश न हों. एग डोनर, सरोगेसी, या गोद लेने जैसे अन्य माध्यमों से बच्चा पाने पर विचार करना संभव है.
https://extendfertility.com/iui-vs-ivf/
https://www.nm.org/healthbeat/healthy-tips/iui-vs-ivf-which-is-right-for-you
इसे भी पढ़े- Precautions after IVF | आईवीएफ के बाद इन 10 बातों का रखें ध्यान!
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Written by
Parul Sachdeva
A globetrotter and a blogger by passion, Parul loves writing content. She has done M.Phil. in Journalism and Mass Communication and worked for more than 25 clients across Globe with a 100% job success rate. She has been associated with websites pertaining to parenting, travel, food, health & fitness and has also created SEO rich content for a variety of topics.
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